बच्चे को पीएमसीएच ने नहीं किया एडमिट, पुलिस ने नहीं दर्ज की एफआईआर
आमजन को सेफ सरेंडर पॉलिसी, जिले में लगे क्रेडल्स और एडॉप्शन प्रोसेस पर अधिकारी करें जागरुक
06 जुलाई 2022, बुधवार, छपरा, बिहार।
मोनिका आर्य
उस नवजात शिशु का मलद्वार नहीं था। उसे जन्म देते ही नहर के किनारे छोड़ दिया गया था। गर्भनाल अभी तक उस के शरीर पर जुड़ी हुई थी। भला हो ललन राम जी का, जिन्होंने बच्चे को वहां देखा और तत्काल उसे उठा लिया। लेकिन उनसे एक चूक हो गयी। वे उस मासूम को निकटवर्ती अस्पताल ले जाने की बजाय अपने घर ले गए।
मौजूदा घटना है बिहार राज्य के छपरा जिले की। यहां परसा ब्लॉक की सगुनी पंचायत के श्रीरामपुर गांव में बुधवार सुबह एक नवजात शिशु (लड़का) मिला। पालोना को घटना की जानकारी पटना के चाईल्ड राइट एक्टिविस्ट श्री संतोष कुमार से मिली। उन्होंने ग्रामीणों से मिली सूचना का हवाला देते हुए पालोना के बिहार-झारखंड ग्रुप में लिखा था कि बच्चा सुबह पांच बजे श्रीरामपुर में मिला है। उसका मलद्वार नहीं होने की वजह से उसके परिजनों ने उसे त्याग दिया है और वह सदर अस्पताल में भर्ती है।
बच्चे को देने को तैयार नहीं थे ललन जी
चाईल्डलाइन छपरा के काउंसलर श्री विकास मिश्रा ने बताया कि बच्चे को ललन राम जी से लेने में चाइल्डलाइन सारण कोलैब को काफी दिक्कतें आईं। वह शिशु को देने के लिए तैयार नहीं थे। यहां तक कि बच्चे को मैडिकल केयर भी नहीं मिली थी। किसी को बुलाकर गर्भनाल जरूर कटवाई गई थी।
पीएमसीएच ने एडमिट करने से किया इनकार
ललन राम जी को किसी तरह समझाबुझा कर बच्चे को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाने को कहा गया। वहां प्राथमिक चिकित्सा दिलवाने के बाद बुधवार को ही रात 09 बजे के करीब बच्चे को सारण के सदर अस्पताल में एडमिट करवा दिया गया। सदर अस्पताल के डॉक्टर्स की सलाह पर बच्चे को अगले दिन पटना के पीएमसीएच में ले जाया गया। मगर अफसोस, कि वहां जगह न होने का दावा करते हुए बच्चे को एडमिट करने से इनकार कर दिया गया।
बिगड़ती जा रही थी बच्चे की स्थिति
उधर, मलद्वार नहीं होने की वजह से बच्चे का पेट फूलता जा रहा था। उसकी स्थिति क्रिटिकल बन रही थी। चाइल्डलाइन के अधिकारियों को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। तब वे अस्पताल के अधिकारियों से मिले और बच्चे की वास्तविक स्थिति से उन्हें अवगत करवाया। अधिकारियों की सलाह पर बच्चे को तत्काल पटना के ही आईजीआईएमएस ले जाया गया।
इसमें पटना के चाईल्ड राइट एक्टिविस्ट शअरी संतोष कुमार (पालोना को भी इन्हीं से सूचना मिली थी) और डॉ. निधि का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन दोनों के सहयोग से 08 जुलाई, शुक्रवार को बच्चे का ऑपरेशन सफलतापूर्वक हो गया। फिलहाल शिशु वहीं इलाजरत है।
पुलिस ने नहीं दर्ज की एफआईआर
विकास जी ने पालोना को बताया कि इसमें सनहा दर्ज की गई है। ये त्रासद है कि बिहार उन कुछ राज्यों में शुमार है, जहां नवजात शिशुओं के साथ हो रही इस क्रूरता को उनकी हत्या के प्रयास के रूप में नहीं देखा जाता और न ही तदनुसार कोई कानूनी कार्रवाई होती है। यही वजह है कि लोगों में कानून का डर नहीं होता और वे बेखौफ होकर नवजात शिशुओं के जीवन से खेलते रहते हैं, मानो ये जीते जागते बच्चे न होकर रबर के कोई गुड्डे- गु़ड़िया हों।
पालोना का पक्ष
पालोना ने छपरा की चाईल्ड वैलफेयर कमेटी के चैयरपर्सन श्री रणविजय सिंह, एडसीपी श्री धर्मवीर सिंह से बात की और उनसे आग्रह किया कि वे इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के लिए पुलिस को निर्देश दें। उन्हें ये भी बताया गया कि यह मामला IPC 317 के साथ साथ JJACT के सेक्शन 75 के तहत दर्ज होना चाहिए। पालोना एफआईआर दर्ज करने के लिए हर तरह के सहयोग हेतु तैयार है।
पालोना उम्मीद करता है कि जल्द ही बिहार राज्य में ये स्थिति सुधरेगी। पुलिस शिशु हत्या के इन प्रयासों को लेकर गंभीर होगी। वहीं, बाल संरक्षण से जुड़े अधिकारी सरकार की सेफ सरेंडर पॉलिसी के साथ-साथ जिले में लगे पालनों और एडॉप्शन प्रोसेस पर जनता को जागरुक करेंगे।
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