सुबह का समय था, जब लोगों का ध्यान एक वीभत्स दृश्य ने अपनी तरफ खींच लिया। झाड़ियों में कुछ ऐसा पड़ा था, जिसे जानवर नोंच रहे थे। यह एक नवजात लड़का था। उसके क्षत-विक्षत अंग आस-पास बिखरे हुए थे। किसने फेंका, कब फेंका, जिंदा फेंका या वह मृत ही था, जब वहां उसे फेंका गया था, ये वे सवाल हैं, जिनके बारे में अभी तक कुछ पता नहीं चल सका है।
स्थानीय पत्रकार श्री कुंतलेश पांडे ने पा-लो ना को बताया कि 11 मार्च की सुबह का समय था, जब झुमरीतिलैया पानी टंकी रोड स्थित मुक्तिधाम में एक नवजात बच्चे का शव पड़ा होने की सूचना मिली। वह झाड़ियों में पड़ा था और जानवर उसे नोंच रहे थे। उसके शरीर के कई हिस्से इधर-उधर पड़े थे। दिल दहला देने वाली इस घटना को सबसे पहले डीसी ऑफिस में कार्यरत सौरभ कुमार ने देखा। उन्होंने तत्काल इसकी सूचना एसपी शिवानी तिवारी को दी। एसपी के निर्देश पर तिलैया पुलिस हरकत में आई और एसपी के निर्देश पर ही बच्चे के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
श्री पांडे ने थाना प्रभारी राजबल्लभ पासवान के हवाले से बताया कि बच्चा किसी अविवाहित मां की कोख से जन्मा होगा, जिसने समाज के डर से बच्चे को मरने के लिए छोड़ दिया। स्थानीय लोगों ने हमेशा की तरह फिर इस घटना के तारों को मेडिकल क्लीनिक्स और नर्सिंग होम्स से जोड़ दिया है। लोगों के निशाने पर फिर से अविवाहित मां है और एरिया में मौजूद नर्सिंग होम्स। लोगों को उम्मीद है कि पोस्टमार्टम के बाद ही मामले का खुलासा हो पाएगा।
टीम पा-लो ना ऐसी हर घटना की ईमानदारी से जांच और परिणाम की ख्वाहिश रखती है। लेकिन अधिकांश मामलों में नतीजा सिफर रहता है। मेडिकल प्रोफेशनल्स भी यही मानते है कि इतने छोटे बच्चे का पोस्टमार्ट होना और उसकी मृत्यु के सही तथ्यों का पता चलना बहुत मुश्किल होता है। फोरेंसिक एक्सपर्ट्स द्वारा जब तक विशेष ध्यान से इस कार्य को अंजाम नहीं दिया जाए, सही परिणाम सामने नहीं आते।
11 मार्च 2018 झुमरीतिलैया, झारखंड (M)