उस सुनसान सड़क पर तेज रफ्तार एक टैम्पू अचानक रूकता है। हवा में कुछ उछाल कर उतनी ही तेजी से वहां से निकल जाता है। स्थानीय लोग यह देखने के लिए फेंकी गई चीज की तरफ दौड़ लगाते हैं कि आखिर टैम्पू से फेंका क्या गया। करीब जाकर देखने पर स्तब्ध रह जाते हैं। नीले रंग की चुन्नी में लिपटी एक नन्ही सी जान अपनी आंखों की पुतलियों को चढ़ाए आखिरी सांसे ले रही थी। घटना घैलाड़ प्रखंड के बैजनाथपुर गम्हरिया मुख्य मार्ग के दयालपुर गांव के पास सोमवार सुबह 11 बजे के आसपास घटी।
स्थानीय लोगों के हवाले से पत्रकार श्री रूद्रनारायण ने पा-लो ना को बताया कि 11 बजे दिन में सहरसा की ओर से आ रहा एक टैम्पू दयालपुर गांव के पास एकाएक रुका और उसमें पीछे की सीट पर मौजूद व्यक्ति ने कपड़े में लपेट कर एक नवजात बच्ची को दूर उछाल दिया। इसके बाद वह टैम्पू वहां से भाग खड़ा हुआ। स्थानीय लोगों के मुताबिक वे तत्काल उस जगह पहुंचे, जहां वो बच्ची गिरी थी। नीले दुपट्टे में लिपटी ये नवजात बच्ची अंतिम सांसें ले रही थी। जैसे ही लोगों ने उसे उठाने का प्रयास किया, बच्ची ने दम तोड़ दिया। संभवतः अत्यधिक चोट लगने के कारण वह दर्द सह नहीं पाई। सुनसान जगह होने के कारण टैम्पू चालक भागने में सफल हो गया।
रूद्रनारायण जी के मुताबिक घटना की सूचना पुलिस को दे दी गई थी, पुलिस घटनास्थल पर पहुंची भी थी, लेकिन हमेशा की तरह स्थानीय लोगों की मदद से बच्ची के शव को वहीं पास में दफना दिया गया। इस मामले में भी पुलिस ने कोई केस दर्ज नहीं किया है।
टीम पा-लो ना ने इस संबंध में मधेपुरा के डीसीपीओ श्री अखिलेश कुमार और बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष श्री पूनम कुमारी से भी संपर्क किया। दोनों को ही घटना की कोई जानकारी नहीं थी।
टीम का मानना है कि ये दिन दहाड़े किया गया कत्ल है और कातिल बेखौफ घूम रहा है। समाज में घुला मिला है। उसे अपने किए पर कोई पछतावा भी नहीं। यदि होता तो अब तक पुलिस के सामने सरेंडर कर चुका होता। पुलिस और वहां का समाज कैसे इस घटना पर चुप बैठ सकते हैं। क्यों नहीं पुलिस ने स्वतः संज्ञान लेकर मामले को दर्ज किया। घटना मधेपुरा के प्रमुख अखबारों में छपी है, इसकी पुष्टि भी रुद्रनारायण जी ने की है। अखबारों में छपे, न छपे, घटना हुई तो है, बच्ची मृतावस्था में मिली तो है। क्या ये काफी नहीं केस दर्ज करने के लिए…
21 मई 2018 मधेपुरा, बिहार (F)