रिमझिम-रिमझिम बरस रही वे बूंदे किसी के लिए काव्य का विषय हो सकती हैं, मगर उस नन्ही सी जान के लिए तो आफत लेकर आई थीं, जो नंगे बदन पैदा होने के तुरंत बाद वहां फेंक दी गई थी। दिसंबर की
कड़कड़ाती ठंड और उस पर बारिश अच्छों-अच्छों की जान लेने को काफी है, ये तो एक नन्ही सी बच्ची थी। अचानक उसके रोने की आवाज नजदीक ही सो रहे कोयला ढोने वाले के कानों में पड़ी। बारिश में भीगती उस बच्ची
को इतनी सुबह-सवेरे निपट अकेले वहां पड़ा देख वह पहले स्तब्ध रह गया और फिर तुरंत ही ये समाचार आस-पास फैल गया। तब तक सुबह का उजियारा फैलना शुरू हो गया था। घटना आज सुबह करीब 5 बजे झारखंड के
गोड्डा जिले से तीन किलोमीटर दूर मुफस्सिल थाना क्षेत्र के रंगमटिया गांव के पास घटी। यहां बजरंग बली मंदिर के पास यात्री शेड के नजदीक गडढे के किनारे किसी ने आज सुबह नवजात बच्ची को रख दिया था। बच्ची बिना
कपड़ों के न जाने कब से वहां पड़ी थी और रो रही थी। किसी कोयला ढोने वाले की नजर उस पर पड़ी और फिर तुरंत ही सूचना पेट्रोलिंग कर रही पुलिस पार्टी को दी। जल्द ही सूचना डीसीपीओ गोड्डा श्री रीतेश कुमार,
सीडब्लूसी अध्यक्ष श्री प्रदीप कुमार तक भी पहुंच गई और बच्ची को सदर अस्पताल में एडमिट करवाया गया। रीतेश जी ने पा-लो ना को बताया कि बच्ची की स्थिति बहुत गंभीर है। वह शुरू में रिस्पॉंड भी नहीं कर रही थी।
शायद कई घंटे भीगने की वजह से ऐसा हुआ था। सबने काफी प्रयास किया और करीब 5-6 घंटे की मेहनत के बाद उसमें जीवन के चिह्न नजर आऩे लगे। बच्ची के बेहतर ईलाज के लिए फिलहाल उसे भागलपुर स्थित
जवाहरलाल नेहरू अस्पताल भेज दिया गया है। सबके सम्मिलित प्रयास से बच्ची को बचा लिया गया। इस ऑपरेशन में पुलिस विभाग की ओर से श्री जितेंद्र आजाद की भूमिका सराहनीय रही, जिन्होंने त्वरित गति से सूचनाओं
का आदान-प्रदान किया।
10 दिसंबर 2017गोड्डा, झारखंड (F)