वह बस कोख से निकला हुआ एक शिशु था। एकदम नन्हा सा। उसे छोड़ने की इतनी हड़बड़ी थी कि उसके शरीर पर लगा मां का रक्त भी साफ नहीं किया गया था। बस एक प्लास्टिक में लपेटा और थैले में डालकर छोड़ दिया। घटना रांची के लोअर बाजार थाना क्षेत्र के कांटा टोली स्थित इदरीस कॉलोनी में शनिवार देर शाम घटी।
घटना की सूचना चाईल्ड एक्टिविस्ट श्री बैदनाथ ने पा-लो ना को दी, जिसकी पुष्टि पत्रकार श्री इमरान ने की। मौके पर मौजूद और बच्चे को बचाने में अहम भूमिका निभाने वाले रेबेल्स क्लब के श्री आरजू ने पा-लो ना को घटनाक्रम के बारे में तफ्सील से बताया। इसके मुताबिक, शाम का समय था, जब उऩ्हें चर्च के पीछे एक नवजात बच्चा होने की सूचना मिली। वहां काफी भीड़ लगी थी।
बच्चा थैले में था। उसकी गर्भनाल भी नहीं कटी थी। वह खून में लिपटा हुआ था, जो जन्म देते वक्त बच्चे को लग जाता है। उसे साफ नहीं किया गया था। बस उसे जन्म लेने के तुरंत बाद एक पॉलीथिन में लपेटा और थैले में डालकर चर्च के पीछे सड़क पर ही छोड़ दिया।
आरजू व उनके अन्य साथियों ने तत्काल पुलिस को इस बारे में बताया। कुछ ही देर में पीसीआर वैन वहां पहुंच गई औऱ बच्चे को सदर अस्पताल में एडमिट किया। बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है और उसे करुणा एनएमओ भेज दिया गया है।
इस मामले में जब पा-लो ना ने लोअर बाजार ओसी श्री सतीश कुमार से केस दर्ज करने की बाबत बात की तो उन्होंने बताया कि सनाह दर्ज कर ली गयी है, लेकिन लावारिस हालत में मिले बच्चों की एफआईआर दर्ज नहीं होती। तब उन्हें बताया गया कि इन मामलों में केस दर्ज होना चाहिए और पा-लो ना की पहल से अब ऐसा होने लगा है। इसके साथ ही उन्हें पूर्व में रांची में दर्ज हुए कुछ मामलों की एफआईआर कॉपी भी भेजी गई, जिसके बाद उन्होंने एफआईआर दर्ज करने का आश्वासन दिया।
पा-लो ना रेबेल्स क्लब के सदस्यों के साथ ही उन सभी की शुक्रगुजार है, जिन्होंने बच्चे को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यदि बच्चे पर समय पर किसी की नजर नहीं पड़ती तो वह जानवरों का निवाला तो बनता ही, कीड़े-मकौड़े भी उसे नहीं छोड़ते, क्योंकि उसके शरीर पर लगे खून की गंध उन्हें अपनी तरफ खींच लेती।
ये गौरतलब है कि रांची जिला प्रशासन ने दो माह पहले शहर के दो अस्पतालों रिम्स और सदर अस्पताल में पालना लगाने की कवायद की थी, ताकि बच्चों को असुरक्षित स्थानों पर छोड़ने की बजाय पालने में रखा जा सके। इससे नवजीवन को बचाने में मदद मिलेगी और वे इन्फेक्शन से भी उनका बचाव होगा। लेकिन इनमें से एक पालना सदर अस्पताल के कमरे में ही रखा हुआ है, उसे अब तक खुले स्थान में नहीं रखा गया, जिससे लोगों को उसके बारे में नहीं पता है। यही नहीं, रिम्स में भी जो पालना लगा है, उसके बारे में आम जन को बताने का कोई जतन नहीं किया जा रहा, जिसकी वजह से लोग अभी भी अपने बच्चों को यहां-वहां छोड़ रहे हैं, जो नन्हें मासूमों के लिए प्राणघातक होता है।
08 दिसंबर 2018 रांची, झारखंड (F)