उस अस्पताल के लिए वह सुबह कुछ अलग थी। 9 बजे के करीब बजे उस अलार्म ने सबको चौंकन्ना कर दिया था। सब तेजी से प्रवेश द्वार की तरफ भाग रहे थे। और जैसे ही वहां पहुंचे, सबके चेहरे पर एक तसल्ली के भाव थे। तसल्ली एक नन्हे जीवन को बचा लेने की। वहां रखे पालने में एक नवजात शिशु मौजूद था। घटना बांसवाड़ा के एमजी अस्पताल परिसर में रविवार सुबह की है।
पत्रकार श्री महावीर सिंह चौहान ने पा-लो ना को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि बांसवाड़ा में शिशु परित्याग की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्थानीय एमजी अस्पताल परिसर के प्रवेश द्वार पर एक पालना रखा गया है। लोगों से अपील की गई है कि बच्चों को फेंकने की बजाय वे इस पालने में छोड़ जाएं। इसी कड़ी में रविवार सुबह नौ बजे जब सायरन बजा तो लोग सीधे प्रवेश द्वार की तरफ दौड़े। वहां पहुंचकर देखा तो एक नवजात शिशु को कोई छोड़ गया है। यह इस पालने में आया पहला शिशु था।
शिशु को वहां से उठाकर सीधे एसएनसीयू वार्ड में ले जाया गया। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रद्युम्न और निलेश पारगी के मुताबिक, बच्चे का जन्म 24 घंटे पहले ही हुआ है और वह दो किलो 900 ग्राम का है। बच्चा स्वस्थ है, बस थोड़ा इन्फेक्शन है। अस्पताल में जितने बच्चों ने उस दौरान जन्म लिया था, सब अपनी मां के पास थे। इसलिए कयास लगाया गया कि देहात या शहर के किसी अन्य हिस्से में बच्चे का जन्म हुआ होगा।
पालोना की नजर में ये एक अच्छी शुरुआत हुई है बांसवाड़ा से। जहाँ जहाँ ऐसे पालने लगाए गए हैं, वहां बच्चों को छोड़ने के लिए लोगों ने उनका चयन किया है। इस को प्रोत्साहित करके नवजात के जीवन को बचाया जा सकता है। लेकिन साथ ही ऐसे जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित करने होंगे, जो लोगों को बच्चों को अपने पास ही रखने के लिए प्रेरित करें, न कि छोड़ने के लिये।
10 जून 2018 बांसवाड़ा, राजस्थान (M)