वह बच्ची एक पोखर किनारे झाड़ियों के पास दायीं करवट लेटी थी। पहली नजर में ही ऐसा लगता था कि उसके साथ कुछ असमान्य घटित हुआ है। उसके तन पर एक भी कपड़ा नहीं था। सिर के ऊपर एक गुलाबी रंग का दुपट्टा जरूर वहां गिरा हुआ था। जमीन कच्ची थी, जिसमें छोटे-छोटे गड्ढे बने हुए थे। घटना सिद्धार्थनगर के जोगिया कोतवाली थाना क्षेत्र के जोगिया गांव में मंगलवार दोपहर बाद घटी।
घटना की सूचना पत्रकार श्री राशिद सिद्दिकी ने पा-लो ना को दी। उन्होंने बताया कि एक नवजात बच्ची का शव कोतवाली जोगिया के गांव जोगिया में एक पोखर के पास मिला है। इस संबंध में जब पा-लो ना ने कोतवाली प्रभारी से बात की उन्होंने घटना की पुष्टि की, लेकिन किसी तरह का केस दर्ज होने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि इन मामलों में केस दर्ज नहीं होता है, क्योंकि किसी ने इसकी शिकायत दर्ज नहीं करवाई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट की बाबत पूछने पर उन्होंने बताया कि वह नहीं आई है।
पा-लो ना ने उन्हें बताया कि शिशु हत्या की घटनाएं नवजात बच्चों के खिलाफ सबसे बड़ा अपराध बन कर उभर रही हैं। उनसे अनुरोध किया गया कि इस मामले में केस दर्ज किया जाए। इसके बाद पा-लो ना ने सिद्धार्थनगर सदर एसपी से भी बात की। उऩ्हें घटना की जानकारी देते हुए पोस्टमार्टम रिपोर्ट मुहैया करवाने का अनुरोध किया। इस पर एसपी ने जब कोतवाली थाना प्रभारी से बात करने को कहा तो उन्हें बताया गया कि इस मामले में अब तक कोई केस दर्ज नहीं हुआ है। पा-लो ना ने उन्हें भी बताया कि शिशु हत्या, भ्रूण हत्या से भी बड़ा अपराध है और इन मामलों को दर्ज करने में देश में यूनिफॉर्म यानी एक जैसी प्रक्रिया नहीं अपनाई जा रही है। पा-लो ना ने एसपी से भी ये अनुरोध किया कि वे अपने क्षेत्र में होने वाली शिशु परित्याग और शिशु हत्या की घटनाओं में एफआईआर लॉज करने के निर्देश जारी करें। एसपी सदर ने इस घटना की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मुहैया करवाने और अन्य जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए दो दिन का समय लिया है।
पा-लो ना को संशय है कि इस घटना में बच्ची को पोखर के पास जिंदा छोड़ा गया होगा। लेकिन ठंड की अधिकता, इन्फेक्शन या किसी जहरीले कीड़े के काटने से बच्ची की मौत हो गई होगी। अब तक की केस स्टडीज के मुताबिक, आमतौर पर शव को ठिकाने लगाने के लिए परिजन या नवजात शिशु की मौत के दोषी निर्जन स्थान तलाशते हैं, लेकिन इस घटना में एक पोखर का चयन करना इस बात को दर्शाता है कि बच्ची को वहां छोड़ने वाले को ये उम्मीद रही होगी कि कोई न कोई व्यक्ति बच्ची को उठा लेगा। दुर्भाग्य से ऐसा हो नहीं सका और बच्ची की मौत हो गई। वैसे इसकी पुख्ता जानकारी पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही मिल सकेगी, जिसका पा-लो ना को इंतजार है। यदि रिपोर्ट से ये सिद्ध हो जाता है कि यह स्टिलबर्थ का केस नहीं है और बच्ची वहां जिंदा छोड़ी गई थी तो इस मामले में हत्या की धाराओं आईपीसी सेक्शन 302, 315 व जेजेएक्ट 75 के तहत केस दर्ज होना चाहिए।
04 दिसंबर 2018 सिद्धार्थनगर, उत्तर प्रदेश (F)