क्या हुआ –
शनिवार शाम चार-साढ़े चार बजे का समय रहा होगा, जब कन्या कालेज व रेलवे कालोनी के पास बने फुट के नजदीक से गुजरने वालों ने एक शिशु के रोने की आवाज सुनी। यह आवाज वहां मौजूद झाड़ियों में से आ रही थी। वहां कूड़े का ढेर भी लगा था। लोगों ने नजदीक जाकर देखा तो स्वेटर में लिपटी एक नवजात बच्ची वहां मिली। इसकी सूचना जीआरपी को दी गई, जो तत्काल ही मौके पर पहुंच गई। तब तक बच्ची बेसुध हो चुकी थी। जीआरपी बच्ची को कपड़े में लपेटकर सामान्य अस्पताल पहुंची। वहां चिकित्सकों ने जांच के बाद बच्ची को मृत घोषित कर दिया।
पालोना को घटना की जानकारी पत्रकार श्री विनीत राज ने दी, जबकि विवरण श्री अंकित चौहान व श्री रविंद्र से मिला।
सरकारी पक्ष व अन्य पक्ष –
“एक बच्ची जर्सी में लिपटी हुई रेलवे ट्रैक के पास मिली थी। उसकी गर्भनाल कटी हुई थी। जिस वक्त वह मिली, उसमें कोई हलचल नहीं हो रही थी। स्थानीय लोग बता रहे हैं कि उसके रोने की आवाज सुनाई दी थी उन्हें, जिस पर उन्होंने पुलिस को बुलाया, लेकिन इसे कोई कन्फर्म नहीं कर रहा। नवंबर माह में भी यहां इसी तरह एक बच्ची मिली थी जिंदा। उसकी गंभीर हालत को देखते हुए उसे पीजीआई रेफर किया गया था, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। यहां हाल में ऐसी दो-तीन घटनाएं हो चुकी हैं।” –
श्री अंकित व श्री रविंद्र, पत्रकार, सोनीपत
“बच्ची को पॉलीथिन में बंद कर एक कपड़े के थैले में डाल कर कूड़े में छोड़ दिया गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट तो अभी नहीं आई है, लेकिन डॉक्टर का कहना था कि बच्ची की मौत जन्म के बाद हुई थी। उसका जन्म भी पांच-छह घंटे पहले ही हुआ था। इस मामले में आईपीसी 318 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। विसरा को जांच के लिए मधुबन, करनाल भेजा गया है। उसके बाद ही निश्चित तौर पर कुछ कहा जा सकेगा।” –
सब इँस्पेक्टर रामफल पाराशर, जीआरपी, सोनीपत
“तस्वीर को देखने से लगता है कि बच्ची को सायोनॉसिस है। यह वह कंडीशन होती है, जब शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। बहुत ठंड या एक्सट्रीम न्यूमोनिया की स्थिति में ऐसा हो सकता है। जिस हालत में बच्ची मिली है, यह बहुत स्वाभाविक है। हालांकि पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही हो सकती है।” –
डॉ. वैशाली, इंचार्ज नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट, देवास
पा-लो ना का पक्ष –
पा-लो ना को संशय है कि यह शिशु हत्या यानी आईपीसी सेक्शन 315 व जेजेएक्ट 75 का केस हो सकता है। इसके पीछे ये कारण हैं –
लोगों ने बच्ची के रोने की आवाज सुनी थी। इसका मतलब है कि बच्ची को जिंदा छोड़ा गया था। कोर्ट कचहरी से बचने के लिए संभवतः कोई आगे नहीं आना चाहता।
तस्वीर में बच्ची के हाथ की ऊंगलियां सफेद नजर आ रही हैं, जैसा अकसर पानी में या ठंड में देर तक रहने से होता है।
तस्वीर में बच्ची के सिर के बाल उसकी त्वचा से चिपके नजर आ रहे हैं, जो गीले होने पर ही संभावित हैं। बच्ची का देर तक गीला रहना, एक्सट्रीम ठंड में रहना उसकी मौत की वजह हो सकता है।
बच्ची को जर्सी में लपेटकर वहां छोड़ा गया था। यदि यह स्टिलबोर्न का केस होता तो वह बिना कपड़ों के, या बच्चों के कपड़े में या किसी चादर आदि में लिपटी मिलती, न कि किसी स्वेटर में, जैसा आमतौर पर इस तरह के मामलों में देखने को मिलता है।
पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर का भी यही मत है कि बच्ची की मौत जन्म के बाद हुई है, इसलिए स्टिलबोर्न (जन्म के दौरान मृत्यु) का मामला तो यह नहीं लगता।
पालोना के तहत हम सोनीपत पुलिस से अपील करते हैं कि वह पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अध्ययन कर गहनता से इस मामले की जांच करें और यदि यह एक मासूम की हत्या साबित होती है तो बच्ची के दोषियों को पकड़ कर सबके सामने लाए।
पालोना का स्पष्ट मानना है कि यदि किसी मजबूरीवश अपने बच्चे या बच्ची को कहीं छोड़ने की नौबत आती भी है तो परिजनों को उसके लिए सुरक्षित स्थान का चयन करना चाहिए, ताकि उसकी जान बचाई जा सके। पॉलीथिन में डालकर बच्ची को खुले आकाश के नीचे छोड़ देना निश्चित रूप से उसके जीवन को नुकसान पहुंचाना ही है, जो जानबूझकर अंजाम दिया गया है।
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11 January, 2020
Sonepat, Haryana (F, D)