वह एक कपड़े में लिपटी झाड़ियों में पड़ी रो रही थी, जब कुछ सफाई कर्मचारियों और लॉ कॉलेज के विद्यार्थियों की नजर उस पर पड़ी। पता नहीं, कब से वहां पड़ी थी वह। उसे उठाकर तुरंत स्थानीय अस्पताल ले जाया गया। घटना रांची के मोरहाबादी के पास शनिवार की सुबह घटी।
पत्रकार श्री कमल से घटना की सूचना मिलने के बाद पा-लो ना को लॉ स्टूडेंट शशांक ने फोन करके घटना के बारे में बताया और बच्ची को बचाने वाले लॉ स्टूडेंट गौरव पोद्दार से बात भी करवाई। गौरव ने बताया कि वह छोटानागपुर लॉ कॉलेज में एलएलबी सेकेंड ईयर का छात्र है। वह अपने कुछ और बैचमेट्स के साथ जब शनिवार सुबह ट्रेनिंग के लिए झालसा जा रहे थे, उस वक्त उन्होंने देखा कि कुछ महिला सफाईकर्मी एक नवजात बच्ची को गोद में लिए खड़ी थी। वह बच्ची उन्हें शिबू सोरेन आवास के समक्ष झाड़ी में रोते हुए मिली थी। वह एक गमछे में लिपटी हुई थी। आनन फानन में छात्रों ने नजदीकी थाने को घटना की जानकारी दी और उनकी सहायता से लालपुर थाना पुलिस ने बच्ची को रानी चिल्ड्रन अस्पताल में भर्ती कराया।
पा-लो ना को घटना की जानकारी मिलते ही टीम ने तुरंत रांची सीडब्लूसी को सूचित किया और तुरंत बच्ची को बेहतर मेडिकल केयर उपलब्ध करवाने की अपील की। टीम को डर था कि कहीं बच्ची को समुचित केयर न मिलने से उसे नुकसान न हो जाए। इसके लिए एक सक्षम अधिकारी का बच्ची का संज्ञान लेना और उसके इलाज की समीक्षा करना जरूरी था। इसके अलावा टीम यह भी चाहती थी कि नेक काम को अंजाम देने वाले छात्रों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।
पा-लो ना द्वारा जानकारी मिलते ही रांची सीडब्लूसी के पूर्व सदस्य श्रीकांत जी व वर्तमान सदस्य तनुश्री जी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बच्ची के बेहतर इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित करवाई। उन्होंने डॉक्टर विनोद कुमार के हवाले से बताया कि बच्ची को थोड़ा जोंडिस और निमोनिया है। इसके अलावा बच्ची को इन्फेक्शन होने का भी खतरा है, जो आम तौर पर ऐसे मिलने वाले बच्चों में पाया जाता है। राहत की बात है कि बच्ची अब पूरी तरह सुरक्षित है और उम्मीद है कि जल्द ही पूरी तरह स्वस्थ भी होगी।
टीम पा-लो ना उन सभी छात्रों, सफाईकर्मचारियो और चाईल्ड एक्टिविस्ट्स के प्रति धन्यवाद अदा करती है, जिन्होंने इस अबोध जीवन को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किया। ऐसी सजगता यदि हर नागरिक में आ जाए तो इन बच्चों को बचाया जा सकता है। टीम उन छात्रों की विशेषरूप से इसलिए आभारी है, क्योंकि उन्होंने सही समय पर सही निर्णय लिया और बिना देरी किए बच्ची को तुरंत मेडिकल केयर उपलब्ध करवाई।
09 जून 2018 रांची, झारखंड (F)