डेढ़ माह की उस बच्ची को एक पालने में छोड़ दिया गया था। इसी वजह से बच्ची को सुरक्षित बचा लिया गया। घटना बाड़मेर के जिला अस्पताल में मंगलवार की शाम घटित हुई।
पत्रकार श्री सवाई सेन ने पा-लो ना को बताया कि मंगलवार शाम छह-साढ़े छह बजे जिला अस्पताल स्थित पालने की घंटी बजी तो सभी नर्सिंगकर्मी दौड़ते हुए पालने के पास पहुंचे। वहां जाकर देखा तो करीब डेढ़ माह की बच्ची को कोई पालने में छोड़ गया था। बच्ची इतनी कमजोर थी कि रो भी नहीं पा रही थी। उसे तुरंत मेडिकल केयर उपलब्ध करवाई गई।
टीम पा-लो ना का मानना है कि बच्ची को वहां पालने में छोड़ने की वजह आर्थिक स्थिति भी हो सकती है। लेकिन राहत की बात ये है कि परिवार ने बच्ची को पालने की बजाय कहीं और नहीं छोड़ा, वरना उसे बचाना बहुत मुश्किल हो जाता। इसीलिए टीम बार-बार पालने लगाने की वकालत करती है और साथ ही जागरुकता कार्यक्रमों की जरूरत पर भी बल देती है।
17 जुलाई 2018 बाड़मेर, राजस्थान (F)