उसका शव पानी में तैर रहा था और उसके मुंह में ऑक्सीजन पाईप व हाथ में कैनुला लगा हुआ था। ये इस बात का गवाह था कि बच्ची अस्पताल में भी रही थी। घटना बाबानगरी देवघर के पुरनदाहा पुल के पास गुरुवार दोपहर को घटी।
स्थानीय पत्रकार श्री रजनीश ने पा-लो ना को बताया कि नगर थाना क्षेत्र के पुरनदाहा पुल में दोपहर को एक नवजात बच्ची का शव तैरता दिखाई दिया। बच्ची के मुंह में ऑक्सीजन का पाईप और हाथ में कैनुला भी लगा हुआ है। ऐसा लगता है कि बच्ची की मौत इलाज के दौरान ही हो गई होगी।
रजनीश ने बताया कि पूर्व में इसी इलाके में कुत्ते द्वारा बच्चे को खाए जाने की घटना हो चुकी है, इसलिए जैसे ही उन्हें इस घटना का पता चला, उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचित कर दिया, ताकि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा सके। इसके अलावा एक बच्चे को दूर से ही उस पर निगाह रखने का निर्देश दिया, ताकि पुलिस के आऩे तक उस शव की रक्षा की जा सके। पुलिस भी तत्परता दिखाते हुए तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गई और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
रजनीश ने ये भी बताया कि उस इलाके में इतनी घटनाएं होने के बावजूद इन्हें रोकने के लिए कोई जागरुकता कार्यक्रम नहीं चलाया जाता। वहां मौजूद कोई संस्था इस पर कार्य करते नजर नहीं आती।
उनके मुताबिक अब वहां पुलिस केस भी दर्ज करने लगी है और मीडिया भी इन खबरों को प्रमुखता से उठा रहा है। इसका नतीजा आने वाले समय में अवश्य नजर आएगा। रजनीश पा-लो ना के मंच से काफी पहले से जुड़े हुए हैं। टीम पा-लो ना इस बात को लेकर आशावान है कि मीडिया के जरिए वह समाज में एक ऐसे प्रेशर ग्रुप का निर्माण करने में सफल होंगे, जिनके दबाव में पुलिस को केस भी दर्ज करने होंगे और तफ्तीश भी करनी होगी। जो मीडिया के जरिए आम लोगों तक पहुंचेगा और ऐसा करने वाले लोगों के मन में डर पैदा होगा कि वे जो कर रहे हैं, वह गलत है और इस अपराध के लिए वे पकड़े जाते हैं तो उन्हें कड़ी सजा मिल सकती है।
देवघर में पिछले 10 दिन में ये दूसरी घटना है। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि देवघर में मिलने वाले शिशु अक्सर मृत मिलते हैं। इस घटना में फोटो को देखकर अंदाजा होता है कि बच्ची की इलाज के दौरान ही मौत हो गई होगी और फिर उसे बहा दिया गया होगा। नवजात शिशुओं को मृत्यु के बाद पानी में बहाने या जमीन में दफनाने की हमारे देश में परंपरा रही है।
हमारा मानना है कि बच्चों के शवों को दफनाना तो सही है, लेकिन बहाना उचित नहीं। बहाने से बच्चे, जानवरों का शिकार बन सकते हैं। जिन अमानवीय परम्पराओ पर अब तक नहीं सोचा गया, उन्हें अब एड्रेस किया जाना बहुत ज़रूरी है। शायद कोई ये सोच ही नहीं पाता है कि बहाने के बाद शवो का क्या होता होगा। अगर लोगों को बताया जाए, उन्हें दिखाया जाए और दफनाने के लिए भी सरकारी स्तर पर व्यवस्था उपलब्ध करवाई जाए तो जेनुइन मौत वाले मामलों में नन्हे शवों की दुर्गति होने से बचाया जा सकेगा। इसके अलावा बच्चों के अंतिम संस्कार का कार्य चोरी छुपे नहीं होना चाहिए, यह IPC 318 के तहत अपराध है।
24 मई 2018 देवघर, झारखंड (F)