क्या हुआ –
रांची के राहे थाना क्षेत्र स्थित सोनाहातु ब्लॉक में एक नवजात बच्ची सड़क किनारे रखी
हुई मिली। उसे एक कपड़ा बिछा कर उस पर लिटा दिया गया था। यह जगह मारनाडीह और पोवादिरी
के बीच जोड़ा पुल के सामने मेला स्थल के नजदीक है। बच्ची दोपहर में एक बजे के करीब
मिली। उस पर चरवाहों की नजर पड़ी और उन्होंने तुरंत ही उसे जमीन पर से उठा लिया। एक
महिला ने, जिसका बच्चा छोटा था, उसे दूध पिलाया।
सीडब्लूसी के निर्देश पर करुणा एनएमओ के लोग बच्ची को सोनाहातू से रांची ले आए। फिलहाल
बच्ची रानी चिल्ड्रेन अस्पताल में डॉक्टर्स के ऑब्जर्वेशन में है। पालोना को घटना की
जानकारी चाईल्ड एक्टिविस्ट बैदनाथ कुमार व समाजसेवी अनु पोद्दार से मिली।
सरकारी पक्ष –
“जहां बच्ची करीब एक बजे मिली, वहां चरवाहे पशु चरा रहे
थे। दोपहर 12- साढ़े बारह बजे तक वहां कुछ नहीं था। जब वे अपने घर को लौटने लगे तो उनकी
नजर बच्ची पर पड़ी। बच्ची एकदम स्वस्थ थी। उसके जन्म को कुछ घंटे बीत चुके थे, क्योंकि
न तो उसके शरीर पर रक्त लगा था और न ही गर्भनाल। ऐसा लगता है कि उसे वहां छोड़ते ही वह
लोगों की निगाह में आ गई” – भुवनेश्वर महतो व ओमप्रकाश सिंह, स्थानीय पत्रकार
“बच्ची मिलने के कुछ ही देर के अंदर हमने अपने स्टाफ को
घटनास्थल भेज दिया था। एक महिला ने बच्ची को दूध पिलाया। उस महिला व सहिया के साथ ही
बच्ची को थाने लाया गया। रांची सीडब्लूसी को हमने तुरंत ही सूचना दे दी थी। कुछ देर बाद
करुणा एनएमओ वाले आकर बच्ची को ले गए। उन्होंने सनहा दर्ज करने को कहा है। रांची
सीडब्लूसी से प्रतिमा जी ने भी यही कहा कि बच्ची तो स्वस्थ है, ऐसे मामलों में सनहा ही
होती है। फिर हम एफआईआर कैसे दर्ज करें” – सब इंस्पेक्टर अजय कुमार ठाकुर, इंचार्ज राहे
ओपी
“बच्चों का इन परिस्थितियों में मिलना दुखदायी है।
अवेयरनैस की जरूरत है, ताकि बच्चों के असुरक्षित परित्याग को रोका जा सके। सरकार की
बहुत सारी स्कीम्स हैं, जिनसे जोड़कर इन बच्चों का संरक्षण किया जा सकता है। यही अपील
है कि बच्चे चोटिल होकर नहीं, बल्कि स्वस्थ मिलें। फिलहाल बच्ची अंडरवेट होने की वजह से
अंडर ऑब्जरवेशन है” – तनुश्री सरकार, रांची सीडब्लूसी मेंबर
पा-लो ना का पक्ष –
इस घटना से उपजे सवालों के जवाब में हमारे कुछ सुझाव हैं –
बच्ची जब मिली थी तो उसे सबसे पहले मेडिकल केयर दिलवानी
चाहिए थी। इस केस में ऐसा नहीं हुआ। पहले मौकास्थल से बच्ची को थाने ले जाया गया और फिर
रांची की टीम राहे गई और वहां से बच्ची को लेकर रांची लौटी। इतना समय बच्ची के लिए
प्राणघातक भी हो सकता था।
ये ध्यान रखना होगा कि इन बच्चों को सबसे पहले मेडिकल
केयर की जरूरत होती है। इसलिए सीडब्लूसी, चाईल्डलाईन, स्पेशल एडॉप्शन एजेंसीज और पुलिस,
जिन्हें भी बच्चे की जानकारी मिले, वह उसका चैकअप नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में
प्राथमिकता से सुनिश्चित करवाएं। बच्चे के स्वस्थ दिखने के बावजूद उसे कम से कम एक-दो
दिन मेडिकल एक्सपर्ट्स की केयर में रखा जाए।
परित्यक्त शिशु के हर मामले में केस जरूर दर्ज करवाएं,
बशर्ते उसे क्रेडल (पालने) में नहीं छोड़ा गया हो। पालने में छोड़े गए बच्चों के मामले
में केस दर्ज करवाने की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि ये पालने सरकार ने इसी उद्देश्य से
लगवाएं हैं कि बच्चों का परित्याग भी करना हो तो वह सुरक्षित और स्वास्थ्यकर स्थितियों
में होना चाहिए।
इस मामले में मिली जानकारी से महसूस होता है कि बच्ची को
सड़क पर छोड़ने वालों की मंशा उसे किसी तरह का नुकसान पहुंचाने की नहीं थी, इसलिए
उन्होंने ऐसा समय व स्थान चुना, जहां नजदीक ही चरवाहे मौजूद थे। इसलिए इस मामले में
केवल आईपीसी का सेक्शन 317 ही लगाया जाना चाहिए।
पालोना उस अनजान मां के प्रति शुक्रगुजार है, जिन्होंने बच्ची को अपना दूध पिलाकर उसके
जीवन की रक्षा की।
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10 September, 2019 Ranchi, Jharkhand (F, A)