क्या हुआ –
बुधवार रात करीब 09 बजे खेलगांव थाना इंचार्ज सब इंस्पेक्टर उमेश कुमार यादव को एक फोन आया कि गाड़ी होटवार में एक बच्ची सड़क किनारे रखी हुई है, जिसके आस-पास कोई नहीं है। उमेश जी ने तुरंत एएसआई ऊषा कुमारी को घटनास्थल
पर जाने को कहा, क्योंकि उनका घर नजदीक ही था।
जिस वक्त ऊषा जी वहां पहुंची, लोगों ने बच्ची को जमीन पर से उठा लिया था। सौभाग्य से बच्ची के शरीर पर कोई चोट, घाव या किसी भी अन्य तरह का कोई निशान नहीं था, जिससे लगे कि वह कष्ट में है।
बच्ची भूख से बिलबिला रही थी। ढाई साल की बच्ची की मां ऊषा जी ने बच्ची को उस कपड़े में लपेटा, जो वह अपने साथ ही लेकर गईं थीं और फिर तत्काल उसे अपने घर ले गईं। उन्होंने बच्ची के शरीर पर लगी थोड़ी बहुत जो मिट्टी थी,
उसे साफ किया और बच्ची को दूध दिया। दूध पीने के बाद बच्ची ऊषा जी की बेटी के साथ खेलने लगी।
सुबह बाल कल्याण समिति, रांची की अध्यक्ष श्रीमती रूपा वर्मा ने अखबार में बच्ची के मिलने की खबर पढ़ी तो नोडल ऑफिसर श्री अमित कुमार को फोन किया और बच्ची को सुपुर्द करने के लिए कहा। दोपहर 12 बजे के आस-पास बच्ची को खेलगांव
थाने की पुलिस ने अशोक नगर स्थित सहयोग विलेज एडॉप्शन एजेंसी को सौंप दिया। जहां बच्ची का रूटीन चैकअप करवा लिया गया है।
सरकारी व अन्य पक्ष –
“मुझे सुबह सात बजे अखबार से बच्ची की सूचना मिली। उसी वक्त मैंने पुलिस अधिकारी को फोन कर बच्ची के बारे में पूछताछ की और उसे प्रोड्यूस करने को कहा। दोपहर को बच्ची को सब इंस्पेक्टर रामबली ने
सहयोग विलेज को दे दिया। उसके रूटीन टेस्ट करवा लिए गए हैं। बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है।” –
श्रीमती रूपा वर्मा, अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति, रांची
“मैं घर पहुंची ही थी कि थाना इंचार्ज का फोन आ गया। वह स्थान मेरे घर से बहुत नजदीक है। इसलिए मैं तुरंत ही अपने पति धनेश्वर महतो को लेकर आर्मी कैंट की बाऊंड्री के पास पहुंच गई, जहां बच्ची
के मिलने की बात कही गई थी। एक व्यक्ति बच्ची को अपनी गोद में लिया हुआ था। बच्ची बहुत रो रही थी। मैंने उसे अपने कपड़े में लपेटा और घर ले कर आ गई, ताकि उसे तुरंत दूध पिलाया जा सके। मेरी भी ढाई साल की बेटी है तो मैं उस
बच्ची की भूख को समझ पा रही थी। दिन में हमने उसे बाल कल्याण समिति को सौंप दिया।बच्ची एकदम स्वस्थ लग रही थी। उसके शरीर पर एक खरोंच भी नहीं थी। नाभि पर भी प्राईवेट हॉस्पिटल में लगने वाला क्लिप लगा हुआ था। यह सरकारी
जैसा नहीं था। ऐसा लगता है कि बच्ची को वहां रखने वाला उसे नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता था, वरना वह उसे किसी गलत जगह रखता। यहां काफी आवागमन रहता है और शायद इसीलिए बच्ची को वहां रखा गया था कि किसी की निगाह उस पर पड़ जाए।”
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श्रीमती ऊषा कुमारी, बच्ची को बचाने वाली एएसआई, खेलगांव थाना, रांची
“इस मामले में फिलहाल सनहा दर्ज की गई है। अभी कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। हम देखते हैं कि इस मामले में अब क्या किया जा सकता है।” –
श्री उमेश कुमार यादव, सब इंस्पेक्टर होटवार थाना, रांची
पा-लो ना का पक्ष –
पा-लो ना बच्ची को बचाने वाली एएसआई ऊषा कुमारी एवं उन अनजान कॉलर का धन्यवाद अदा करता है, जिन्होंने पुलिस को बच्ची के मिलने के बारे में बताया। यदि वे भी बच्ची को इग्नोर कर आगे बढ़ जाते या एएसआई ऊषा कुमारी ही वक्त
पर वहां नहीं पहुंच पाती, तो न जाने बच्ची के साथ क्या होता।
साथ ही पा-लो ना सभी लोगों से ये अपील भी करता है कि किसी भी परिस्थिति में बच्चे को नहीं पाल सकते हैं तो प्लीज उसे सरकार को सुरक्षित सौंप दें।
इसके लिए ही सरकार ने सेफ सरेंडर पॉलिसी बनाई है। इसके लिए चाईल्डलाइन को 1098 पर या अपने जिले की बाल कल्याण समिति को संपर्क किया जा सकता है। जानकारी व गाईडेंस के लिए पा-लो ना को भी 9798454321 पर कॉल या व्हॉट्सअप पर जानकारी ली जा सकती है।
बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए सेफ सरेंडर को ही अपनाईए। इसमें आपकी पहचान भी उजागर नहीं होगी।
पा-लो ना समाज के सभी तबकों के लोगों से अपील करता है कि सेफ सरेंडर के बारे में अपने आस-पास के लोगों को अवश्य बताएं। हो सकता है कि ऐसा करके आप अनजाने में ही किसी की मदद कर दें और आपके द्वारा शेयर की गई जानकारी कई
बच्चों का जीवन बचा ले।
इसके अलावा पा-लो ना रांची पुलिस से भी इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की अपील करता है। इसके लिए खेलगांव पुलिस को पा-लो ना के द्वारा जरूरी जानकारी दे दी गई है।
09 SEPTEMBER 2020
RANCHI, JHARKHAND (F, A)