पूर्वोत्तर रेलवे के चैनवा स्टेशन पर पटरियों के बीच एक नवजात बच्ची फेंकी हुई मिली। बच्ची को कपड़े में लपेटकर लक़ड़ी की पटरी पर
रख दिया गया था। काफी खोजबीन के बाद भी बच्ची का कोई परिजन नहीं मिला तो उसे एक स्थानीय निःसंतान दंपति को सौंप दिया गया।
इसके बारे में अखबारों में छपने पर जब सरकारी एजेंसियों को खबर हुई और उन्होंने इसे रिकवर करने का प्रयास किया, तो उन्हें काफी मुश्किलों
का सामना करना पड़ा। सारण के चाईल्ड प्रोटेक्शन ऑफीसर श्री सुधीर कुमार ने बताया कि यह घटना बुधवार की है। सारण के एकमा प्रखंड के
चैनवा गांव में एक बच्ची रेल की पटरियों के बीच मिलने की सूचना जैसी ही फैली, वहां लोगों की भीड़ लग गई। सब अचंभित थे कि आखिर
इतनी छोटी सी बच्ची को वहां कौन छोड़ गया। बच्ची दो-तीन दिन की प्रतीत होती थी। बच्ची के माता-पिता की काफी तलाश की गई, मगर जब
कोई नहीं मिला तो उसे रेलवे के ही स्टाफ कन्हैया राम और उनकी पत्नी सुनीता देवी को परवरिश के लिए सौंप दिया गया। इस दौरान समाजसेवी
छोटे अंसारी, स्टेशन मास्टर शशि कपूर, सुहैल अंसारी, मंजीत आदि मौजूद थे। बच्ची के मिलने और उसे एक दंपत्ति को सौंपने की खबर
स्थानीय अखबारों में छपने पर चाईल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर, चाईल्ड वेलफेयर कमेटी आदि को इसकी सूचना मिली और उन्होंने बच्ची को रिकवर
करने का प्रयास शुरू कर दिया। डीसीपीयू, स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी और पुलिस वालों की एक टीम चैनवा पहुंची, मगर जैसे ही कन्हैया राम को
ये पता चला कि चाईल्ड एक्टिविस्ट्स बच्ची को रिकवर करने के लिए चैनवा पहुंचने वाले हैं, वह अपने परिवार और बच्ची को लेकर तीन दिन
की छुट्टी पर सीवान चला गया। टीम के चैनवा पहुंचने पर कोई भी उन्हें कन्हैया राम का पता या कॉंटेक्ट नंबर बताने को तैयार नहीं हुआ। फिर
किसी तरह पुलिस की सहायता से कन्हैया राम और बच्ची का पता लगाया गया और सीवान जाकर बच्ची को रिकवर किया गया। इस कार्य में
रसूलपुर के एसएचओ ने सराहनीय भूमिका निभाई। बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है।
03 जनवरी 2018 सारण, बिहार (F)