क्या हुआ –
एक नवजात बच्ची को उसके ही माता-पिता ने जन्म देने के दिन ही एक घाटी में ढलान पर चलती
बाईक से उछाल कर फेंक दिया। डेढ़ दिन से ज्यादा वह बच्ची उसी जंगल में पड़ी रही। कीड़े,
कीट पतंगे उसे खाते रहे। गनीमत रही कि किसी जंगली जानवर की नजर उस पर नहीं पड़ी। वह
शनिवार सुबह देवास जिले के बरझाई घाट में पहाड़ी की ढलान पर मिली, जबकि उसे गुरुवार शाम
को ही जंगल में फेंक दिया गया था।
शनिवार सुबह जंगल में बकरी चराने गए गोविंद व मुकेश ने बच्ची के रोने की आवाज सुनी तो
मुख्य सड़क से 50 से 60 फीट दूर जंगल में खाईनुमा पहाड़ी की ढलान पर गए। वहां बच्ची देख
उन्होंने पुलिस को 100 डायल कर सूचना दी। बागली थाना प्रभारी पहुंचे और बच्ची को
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उपचार के लिए ले जाया गया। बीएमओ डॉ. विष्णुलता उइके ने
जांच के बाद बताया कि वह 2 से 3 दिन की है। उसकी हालत नाजुक होने की वजह से उसे देवास
जिला अस्पताल रैफर कर दिया गया।
बच्ची की स्थिति बहुत क्रिटिकल थी। उसके घावों और कान से कीड़े निकल रहे थे। उस पर
स्थिति ये कि पूरे जिले में उन कीड़ों को बाहर निकालने वाली दवा नहीं मिल रही थी। ऐसे
में डॉ. वैशाली निगम के व्यक्तिगत प्रयासों से बच्ची के लिए टर्पेंटाईन ऑईन नामक दवाई
मंगवाई गई, जो ड्रॉपर की मदद से उसके घावों और कीड़ों में डाली गई, जिससे उसके शरीर में
मौजूद कीड़े बाहर निकलने लगे। करीब दो दिन तक वे कीड़े बाहर निकलते रहे।
दरअसल, बागली अस्पताल में गुरुवार को कटे होंठ वाली बच्ची का जन्म हुआ था। जब शनिवार को
बच्ची को जख्मी अवस्था में बागली अस्पताल लाया गया तो स्टाफ को आशंका हुई कि कहीं यह
वही बच्ची तो नहीं है। रिकॉर्ड से गुरुवार सुबह जन्मी बच्ची के माता और पिता की डिटेल्स
मालूम हुईं। उसकी मां का नाम सुनीता और पिता का नाम संतोष है, जो उदयनगर के पास गांव
खरड़ीपुरा के रहने वाले हैं। पुलिस तुरंत सक्रिय हुई और खरड़ीपुरा जा पहुंची। सुनीता के
पास बच्ची नहीं थी। उसने कहा कि घर लौटते हुए बच्ची की मौत हो गई थी और उसका अंतिम
संस्कार कर दिया गया है।
सख्ती से पूछताछ में सुनीता ने बताया कि उसके पहले से तीन बेटियां थीं। बेटे की चाह थी,
लेकिन चौथी भी बेटी हुई और उसका होंठ भी कटा हुआ था। यही कारण रहा कि गुरुवार शाम को
छुट्टी करा कर लौटते समय ही अस्पताल से 5 किमी दूर पड़ने वाले बरझाई घाट के जंगल में
उन्होंने बच्ची को फेंक दिया और करीब 37 किमी दूर स्थित अपने गांव खरड़ीपुरा चले गए।
सरकारी पक्ष –
देवास बाल कल्याण समिति सदस्य श्रीमती वैशाली ने पालोना को बताया कि बच्ची का होंठ कटा
हुआ है और उसकी यही निशानी देवास पुलिस को उसके दोषियों तक ले गई। उसके माता-पिता को
गिरफ्तार कर लिया गया है।
वहीं, बच्ची का उपचार करने वाली एसएनसीयू प्रभारी डॉक्टर वैशाली निगम ने बताया कि
उन्होंने इतनी क्रूरता इससे पहले कभी नहीं देखी। सिर से पैर तक बच्ची के शरीर पर जख्म
हो चुके थे। करीब 14-15 घाव हो गए थे और सभी में से कीड़े निकल रहे थे। अस्पताल के साथ
साथ जिला प्रशासन भी टर्पेंटाईन ऑईल का इंतजाम करने में जुटा था। यह दवाई नहीं मिलने की
वजह से उसे इंदौर रैफर करने पर विचार किया जा रहा था कि आखिर में एक मेडिकल स्टोर पर वह
मिल गई। ऐसा लग रहा था, मानो सभी उस बच्ची को बचाने के लिए तत्पर हैं।
पा-लो ना का पक्ष –
इस बच्ची के साथ बरती गई क्रूरता से पालोना स्तब्ध है। बच्चे को नहीं पालना अलग बात है
और उसकी हत्या का प्रयास करना, वह भी इतने निर्दयी ढंग से, वह अलग बात है। इस तरह की
घटनाएं पालोना की उस सोच पर मुहर लगाती हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान मां की केवल मेडिकल
जांच ही नहीं, बल्कि साईक्लॉजिकल काउंसलिंग भी किए जाने की जरूरत है। हमारे देश में अभी
इस पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा। जबकि देश के अलग अलग हिस्सों में हुई कई घटनाओं
ने इस जरूरत को रेखांकित किया है।
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03 August, 2019 Dewas, MP (F, A)