एक झोले में बंद उस बच्चे की गर्भनाल तक नहीं कटी थी, न ही उसे साफ किया गया था। न उसका पोस्टमार्टम हुआ और न ही कोई केस दर्ज। ये एक सामान्य मौत थी, या किसी की साजिश का वह शिकार हुआ, अब ये राज कभी नहीं खुल पाएगा। घटना बिहार के कैमूर जिला अंतर्गत मोहनिया थाना क्षेत्र के कुर्रा गांव में बुधवार रात में घटी।
पत्रकार श्री देवव्रत ने पा-लो ना को घटना की सूचना और जानकारी दी, जिसकी पुष्टि मोहनिया थाना प्रभारी श्री आर.के. सिंह ने भी की। इस विवरण के मुताबिक, बुधवार 19 तारीख को मोहनिया के कुर्रा गांव में देर रात ग्रामीणों ने एक गाड़ी को हाईवे से कुर्रा की तरफ जाते और फिर मोड़ के पास से मुड़ते देखा। ग्रामीणों को लगा कि शायद को रास्ता भटक गया है और अब वापिस लौट रहा है। अगली सुबह उसी मोड़ के पास मौजूद झाड़ियों में एक थैला पड़े होने की सूचना मिली। जब उसे खोल कर देखा गया तो उसमें एक नवजात शिशु था। अनुमान लगाया जा रहा है कि उन गाड़ी वालों ने ही थैले में बच्चे को झाड़ियों में छोड़ा होगा। ग्रामीणों ने थाने को सूचना दी और बच्चे को वहीं पास में दफ्न कर दिया।
इस विषय में पा-लो ना ने जब थाना प्रभारी श्री आर.के. सिंह से बात की तो उन्होंने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि इस मामले में कोई केस दर्ज नहीं हुआ है। उनका मानना है कि शिशु की जन्म से पहले ही मौत हो गई होगी। पोस्टमार्टम की बाबत पूछने पर उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम किसलिए होता, कोई आपराधिक मामला होता, तब तो पोस्टमार्टम होता। उन्होंने इस संभावना से इनकार किया कि बच्चे को वहां शायद जिंदा ही छोड़ा गया हो और अत्यधिक ठंड की वजह से बच्चे की मौत हो गई हो। बड़े रुखे अंदाज में उन्होंने जवाब दिया कि अब तो कुछ भी सोचा जा सकता है।
सच ये है कि यदि बच्चे के शव का पोस्टमार्टम हो जाता तो उसकी मौत का कारण भी स्पष्ट पता चल जाता। इसे पुलिस की लापरवाही समझा जाए या गैर-जिम्मेदाराना रवैया या उनकी अज्ञानता कि बच्चे के शव को भी इस तरह सार्वजनिक तरीके से छोड़ना कानूनन अपराध है। इसके बावजूद उन्होंने इस मामले में कोई केस दर्ज नहीं किया। पा-लो ना का मानना है कि पुलिस व प्रशासन के इसी रवैये ने इस अपराध को जघन्य बनाने में महती भूमिका अदा की है।
19 दिसंबर 2018 कैमूर, बिहार (M)