वह बच्चा तीन-चार माह का था। अच्छे कपड़े पहने पहुए थे, माथे पर नजर का टीका भी लगा हुआ था, लेकिन वह किसी आंगन या किसी गोद में नहीं था। वह पड़ा था सड़क किनारे झाड़ियों में और उसके चेहरे पर जख्म था, जिस पर कीड़े चिपके हुए थे। घटना झारखंड के चाईबासा में मंझारी थाना के जांगीबुरु घाटी में गुरुवार को सुबह के समय घटी।
पत्रकार श्री उपेंद्र कुमार से सूचना मिलने के बाद जब पा-लो ना टीम ने चाईबासा के बाल हित कार्यकर्ता श्री विकास दोरदाजका से बात की तो उन्होंने बताया कि उनके पास इस संबंध में सुबह साढ़े दस बजे के करीब सूचना आई थी। उन्हें एक बच्चे के मिलने की सूचना मिली थी, जिसे झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ता योगेश तमसोय ने सड़क किनारे से उठाया था। विकास जी को सूचना देने वाले भी झामुमो से जुड़े थे।
उन्होंने तुरंत ही अपनी टीम के सदस्यों को घटनास्थल के लिए रवाना कर दिया, जो जिला मुख्यालय से करीब 25-30 किलोमीटर दूर है। वहां प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बच्चे के सिर पर भारी पत्थर रखा हुआ था, जिससे उसके चेहरे पर चोट लग गई। इस जख्म पर कीड़े लगे हुए थे, जिन्हें तुरंत हटाया गया। बच्चे को चाईबासा लाकर अस्पताल में दाखिल करवाया गया। बच्चा एकदम हृष्ट-पुष्ट है, स्वस्थ है। चाईल्डलाईन की एक सदस्य वहां बच्चे की देखभाल के लिए मौजूद है।
इतने महीनों तक बच्चे को अपने पास रखकर उसे छोड़ने का निर्णय किसी परिवार को किन हालात में लेना पड़ा, ये समझ से बाहर है। यह बच्चा परिवार द्वारा ही छोड़ा गया है, या फिर बच्चे को किडनैप करके वहां फेंका गया, इस बारे में अगले तीन-चार दिनों में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। एक पक्ष ये भी है कि कहीं बच्चे का इस्तेमाल किसी पूजा या तंत्र के लिए तो करने की योजना नहीं थी, यदि ऐसा था भी तो फिर बच्चे को वहां क्यों छोड़ा गया। सवाल अनंत हैं, जवाब किसी के पास नहीं। हमारे लिए राहतदायक बात यही है कि बच्चा जीवित मिला और उसे समय पर मेडिकल केयर मिल गई।
19 अप्रैल 2018 चाईबासा, झारखंड (M)