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Home    मक्खियां उसके ऊपर भिनभिना रहीं थीं और वह बाहों में मुंह छुपाए थी…

Latest News On Infanticide

मक्खियां उसके ऊपर भिनभिना रहीं थीं और वह बाहों में मुंह छुपाए थी…

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वह अपने में ही सिमटी थी। जिंदा होती तो हाथ-पैर चलाकर अपने ऊपर मंडरा रही, चिपट रही मक्खियों को दूर भगा देती। लेकिन उसमें जान ही कहां बची थी। वह तो मात्र शव थी, जो न हिल-डुल सकती थी और न किसी बात का प्रतिरोध जता सकती थी। घटना दरभंगा जिले के स्टेशन के पास स्थित हराही तालाब पर रविवार सुबह घटी।

स्थानीय पत्रकार श्री गिरीश कुमार और भाजपा नेता श्री बालेंदु ने पा-लो ना को बताया कि दरभंगा रेलवे स्टेशन के पास मौजूद हराही तालाब के किनारे पड़े नाले के कचरे में ही वह नवजात बच्ची पड़ी हुई थी। उस पर मक्खियां भिनभिना रही थी। उसके शरीर का कुछ हिस्सा कुत्तों ने नौंच डाला था।

दरअसल स्वामी विवेकानन्द युवा मंच के स्वयंसेवक पिछले कई सप्ताह से दरभंगा स्टेशन के सामने स्थित हराही पोखर की सफाई का कार्यक्रम चला रहे थे। इसी क्रम में रविवार को भी ये लोग तालाब के घाट की सफाई कर रहे थे। उसी दौरान एक कार्यकर्ता की नजर कचरे के ढेर में मौजूद एक नवजात बच्ची के शव पर पड़ी, जिसके बाद यह बात पूरे इलाके में आग की तरह फैल गयी। कुछ ही देर में वहां लोगों की भीड़ लग गई। बच्ची की हालत हर व्यक्ति को विचलित कर रही थी। लेकिन सभी का अंदाजा यही था कि नर्सिंग होम में बच्ची को मारकर वहां फेंक दिया गया है।

सूचना मिलने पर पुलिस भी घटनास्थल पर पहुंची और शव को कब्जे में ले लिया। पुलिस के मुताबिक वह मामले की जांच कर रही है, लेकिन जब केस ही दर्ज नहीं किया तो जांच कैसे हो रही है, समझ से परे है। श्री गिरीश ने बताया कि उस इलाके में पहले भी ऐसे नवजात के शव मिलते रहे है। फिर भी जिलाप्रशासन द्वारा इन घटनाओं को रोकने के लिए किसी प्रकार का कोई ठोस कदम नही उठाया जाता।

तस्वीर और विजुअल्स को देखने से टीम पा-लो ना को वह शव एक स्वस्थ बच्ची का लगता है, जो कुछ दिनों की रही होगी। हो सकता है किसी बीमारी से बच्ची की मौत हुई हो, ये भी हो सकता है कि बच्ची को मारकर या फिर जिंदा ही वहां फेंक दिया गया हो। कोई भी स्थिति रही हो, बच्ची को इस तरह फेंकना धारा 318 के तहत अपराध है।

टीम ने स्थानीय पत्रकार श्री गिरीश कुमार और नेता भाजपा श्री बालेंदु को भी शिशु हत्या और शिशु परित्याग के बारे में बताया। उन्हें जागरुक किया कि इस तरह मिलने वाले शव भ्रूण के नहीं, बल्कि बच्चों के होते हैं और आईपीसी की धारा 318 के तहत ये केस दर्ज किए जाने चाहिएं। उन्हें ये भी बताया कि शिशु हत्या में मेडिकल प्रेक्टिशनर्स या नर्सिंग होम्स की भूमिका नहीं के बराबर होती है। टीम ने उनसे आगे भी इस तरह की घटनाओं पर निगाह रखने, उनकी सूचना पा-लो ना को उपलब्ध करवाने और उस इलाके में शिशु हत्या के खिलाफ जागरुकता अभियान चलाने की भी अपील की।
20 मई 2018 दरभंगा, बिहार (F)

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