वह मछली नहीं था, फिर भी मछली रखने वाले बक्से में उसे रख दिया गया था। उसकी मौत बक्से में रखने से पहले हो चुकी थी या उसके बाद हुई, कहा नहीं जा सकता। लेकिन वह जिस हालत में मिला, वह देखने योग्य नहीं थी। घटना गोला के डीवीसी चौक के समीप मुरी रोड स्थित पटासु नदी पुल के पास रविवार को घटी।
गढ़वा के पत्रकार श्री अभय तिवारी की सूचना पर जब पा-लो ना ने पत्रकार श्री महावीर से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि गोला डीवीसी चौक के पास मुरी रोड स्थित पुल के नीचे रविवार को बॉक्स में बंद कर नवजात बच्चे को फेंक दिया गया था। यह लड़का था या लड़की, पता नहीं चल सका।
एक नवजात शिशु मछली बक्से में फेंका हुआ मिला है, ये खबर मिलते ही आसपास से लोगों की भीड़ घटनास्थल पर उमड़ पड़ी। पुलिस भी वहां पहुँच गई और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पुलिस, मीडिया और आम लोग, सभी का मानना था कि ये निजी अस्पताल की करतूत है। श्री महावीर के मुताबिक, पिछले छह माह में इंसानियत को तार-तार करने वाली यह तीसरी घटना है। इससे पूर्व शहर के अग्रवाल मुहल्ला में गोमती नदी पुल के नीचे नवजात का शव फेंका हुआ मिला था। इसके कुछ ही दिनों के बाद बड़काजारा जंगल में एक नवजात शिशु का शव बरामद हुआ था।
पा-लो ना टीम के मुताबिक बच्चे की तस्वीर को देखने से लगता है कि वह प्री-मेच्योर है। ये एबॉर्शन या मिस-कैरिएज का केस भी हो सकता है। जो भी वजह रही हो बच्चे की मौत की, उसे इस तरह से डिस्पॉजऑफ नहीं किया जा सकता। ये कानूनन अपराध है। लोगों को कानून की जानकारी नहीं होने की वजह से वे बिना डरे इन घटनाओं को बार-बार अंजाम देते हैं, जिसे रोकना बहुत जरूरी है।
13 मई 2018 रामगढ़, झारखंड (U)