निवाड़ी सीएचसी के टॉयलेट में मिला नवजात
निवाड़ी सीएचसी के टॉयलेट में मिला नवजात
31 अगस्त/01 सितंबर 2021, निवाड़ी, मध्यप्रदेश
मोनिका आर्य
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, पृथ्वीपुर के शौचालय में एक नवजात शिशु (लड़का) मिला, जिसकी गर्भनाल उससे जुड़ी थी और वह खून में सना था। उसका जन्म उसी शौचालय में हुआ था और उसे जन्म देने के बाद उसकी मां उसे वहीं छोड़कर चली गई। इस पूरी घटना में एक ऐसी राहत की बात है, जिसने उस बच्चे का जीवन बचा लिया।
ये घटना निवाड़ी के पृथ्वीपुर थाना क्षेत्र में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में घटी। बच्चे का जन्म कब हुआ और उसे सबसे पहले किसने देखा, इसे लेकर विभिन्न मत हैं। जहां स्थानीय मीडिया के अनुसार बच्चे का जन्म मंगलवार 31 अगस्त को हुआ और उसे सबसे पहले भोपालपुरा से इलाज के लिए स्वास्थ्य केंद्र पहुंची महिला ने देखा था, तो वहीं बाल कल्याण समिति टीकमगढ़ के मुताबिक, महिला ने बुधवार 01 सितंबर को बच्चे को जन्म दिया था और अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मी की नजर ही बच्चे पर सबसे पहले पड़ी थी और उसी ने चिल्लाकर सबको घटनास्थल पर बुला लिया था।
बहरहाल, बच्चे को वहां से उठाकर तुरंत अंदर वार्ड में ले जाया गया। वहां उसे प्राथमिक चिकित्सा देने के बाद जिले के राजेंद्र प्रसाद अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती करवाया गया। सीडब्लूसी के अनुसार, बच्चा स्वस्थ है और एहतियातन उसे 10 दिनों के लिए चिकित्सकों की देखरेख में छोड़ दिया गया है।
वहीं, एसएनसीयू प्रभारी डॉ. कमलेश सूत्रकार के हवाले से स्थानीय मीडिया लिखता है कि नवजात प्री-मेच्योर है। उसका वजन डेढ़ किलो है। इसी वजह से बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो रही है।
सरकारी व मीडिया का पक्ष
“एक महिला, जो ज्यादा उम्र की नजर नहीं आ रही थी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती हुई थी। बुधवार को वह शौचालय गई और वहीं उसने बच्चे को जन्म दे दिया। इसके बाद वह बच्चे को उसी स्थिति में छोड़कर वहां से चली गई। उसने किसी को इस बारे में सूचना तक नहीं दी। ये तो अच्छा है कि कुछ ही देर में वहां स्वीपर पहुंच गया और उसने बच्चे को वहां देख लिया।
ब्लॉक मैडिकल ऑफिसर डॉ. ए. के. जैन ने चाइल्डलाइन को इस घटना की फोन पर सूचना दी और बाल कल्याण समिति से भी उनकी बात हुई। उस वक्त रात के लगभग आठ बजे थे। डॉ. जैन स्वयं उस बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचे और एसएनसीयू वार्ड में भर्ती करवाया।
पृथ्वीपुर मूलतः निवाड़ी जिले के अंतर्गत आता है, लेकिन निवाड़ी और टीकमगढ़ जिले की संयुक्त बाल कल्याण समिति है। इसलिए बच्चे को टीकमगढ़ के सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। समय पर इलाज और देखभाल मिलने से बच्चे का जीवन बच गया। हमने 10 दिनों तक बच्चे को अस्पताल में ही रखने के निर्देश दिए हैं।”
- डॉ. प्रीति सिंह परमार, सदस्य बाल कल्याण समिति, टीकमगढ़, मध्य प्रदेश।
“नगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के प्रसव वार्ड में बने शौचालय में अज्ञात लोग नवजात शिशु को छोड़कर भाग गए। मंगलवार को दोपहर 12.30 बजे प्रसव वार्ड में भोपालपुरा गांव से अपना इलाज कराने आई एक महिला शौचालय की तरफ पहुंची तो वहां उसे बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। महिला ने बाहर से लगी कुंडी को खोलकर देखा तो एक नवजात बालक रोता बिलखता मिला, जिसकी सूचना महिला ने स्वास्थ्य केन्द्र के कर्मचारियों को दी। मौके पर पहुंचे स्वास्थ्य कर्मियों ने नवजात की प्राथमिक जांच कर उपचार किया। उस वक्त ड्यूटी पर डॉ. गजेंद्र निरंजन थे।“
पा-लो ना का पक्ष
हमने ऊपर खबर में लिखा है कि इस घटना में एक राहत की बात है और यही राहत की बात उस मासूम के लिए जीवनदायिनी साबित हुई। पाठक सोचेंगे कि शौचालय में किसी बच्चे का जन्म होने में ‘राहतदायी’ भला क्या हो सकता है।
गौर करने की बात है कि बच्चा शौचालय में जरूर जन्मा, लेकिन वह अस्पताल परिसर में ही मौजूद था। यही कारण है कि उसे जन्म के शुरुआती घंटों में ही इलाज उपलब्ध हो सका। यही बात उसके जीवन के पक्ष में गई।
अगर उस महिला ने बच्चे को अस्पताल में जन्म न देकर किसी अन्य स्थान पर जैसे खेत, सड़क किनारे, किसी निर्जन अंधेरे स्थान पर जन्म दिया होता या जन्म देने के बाद कहीं असुरक्षित जगह पर छोड़ दिया होता तो उसे बचाना बेहद मुश्किल होता।
गुमनाम होकर बच्चे को जन्म देने और फिर उसे वहीं छोड़ जाने के पीछे बहुत से कारण या मजबूरियां हो सकती हैं। उस महिला के इस कृत्य को उचित तो नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन उसकी ममता पर सवालिया निशान लगाने का भी हमें कोई अधिकार नहीं हैं, क्योंकि हम ये नहीं जानते कि उसने ऐसा क्यों किया। हो सकता है अपने बच्चे को बचाने का उसके पास अन्य कोई रास्ता न बचा हो।
अच्छी बात ये है कि नवजात शिशु सकुशल है और अस्पताल में डॉक्टर्स की निगरानी में हैं। हम उम्मीद करें कि बच्चा जल्द ही पूरी तरह स्वस्थ होगा और एडॉप्शन के जरिए अपने उपयुक्त परिवार का हिस्सा बनेगा।
हिंदुस्तान में किसी भी बच्चे को गोद लेने के लिए कारा में रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है। इसके लिए संबंधित व्यक्ति/माता-पिता को एक निश्चित प्रक्रिया को पूरा करना होता है, जिसके बाद उन्हें बच्चा गोद दे दिया जाता है।