जमुई के झाझा प्रखंड के बरसमिया गांव में एक नवजात शिशु मिला है, जिसे फिलहाल रेशमा नामक महिला ने उठा लिया और उसे पाल रही है।
मिली जानकारी के अनुसार, एक नवजात शिशु सड़क किनारे झाड़ियों में पड़ा रो रहा था। उसके रोने की आवाज राहगीरों तक पहुंची और कुछ ही देर में वहां लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई, मगर कोई भी उस मासूम को वहां से उठाने का साहस नहीं कर पा रहा था।
तभी बच्चे की सूचना पाकर वहां पहुंची बबलू अंसारी की पत्नी रेशमा बेगम ने बच्चे को न केवल झाड़ियों से निकालकर उसके जीवन की रक्षा की, बल्कि उसे अपनाया भी। हालांकि हमारा मौजूदा कानून इस बात की इजाजत किसी को नहीं देता। इसके मुताबिक, किसी भी बच्चे के मिलने पर उसे चाईल्ड लाइन, चाईल्ड वेलफेयर कमेटी या पुलिस के सामने प्रोड्यूस करना पड़ता है, जहां से बच्चे को एडॉप्शन सेंटर भेज दिया जाता है। कुछ समय तक बच्चे के परिजनों के आने का इंतजार किया जाता है और फिर उसे एडॉप्शन के लिए लीगली फ्री कर दिया जाता है।
हालांकि हम पा-लो ना की तरफ से इस कानून के खिलाफ भी आवाज उठा रहे हैं और उन लोगों की आवाज बनने की कोशिश कर रहे हैं, जो बच्चे को बचाने के बाद उसे पालने की मंशा रखते हैं। हमारा साफ मानना है कि यदि कोई व्यक्ति किसी बच्चे को बचाता है और नेक मंशा से उसे अपने पास रखना चाहता है तो ये अधिकार उसे मिलना ही चाहिए। क्योंकि यदि वह बच्चे को वहीं पड़े रहने देता तो शायद बच्चा बच ही नहीं पाता कि उसे किसी और को गोद दिया जा सके। अगर कानून अपने नागरिकों से संवेदनाओं की उम्मीद रखता है तो उसे भी अपने नागरिकों की भावनाओं का सम्मान करना होगा।
07 जनवरी 2018 जमुई, बिहार (M)