ये भी एक नवजात बच्ची थी, जिसका शरीर पानी से फूल कर पोखर के किनारे लग गया था और कुत्ते उसे अपना आहार बनाने के तैयार थे। घटना दरभंगा के विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र के एमएलएसएम कालेज के सामने स्थित हराही पोखर में सोमवार को घटी।
स्थानीय पत्रकार श्री गिरीश कुमार और भाजपा नेता श्री बालेंदु झा ने पा-लो ना को बताया कि एक नवजात बच्ची को जन्म के बाद पोखर में फेक दिया था। जब शव फूल कर पोखर के किनारे लगा तो आवारा कुत्ते उस बच्ची को नोंच कर खाने का प्रयास करने लगे। उसी वक्त एक राहगीर की नजर उस पर पड़ी, तो उसने शोर मचाकर किसी प्रकार कुत्ते को भगाया और शव को बचाया। इस बात की सूचना पूरे इलाके में फ़ैल गई।
लोग बहुत आक्रोशित हो गए, क्योंकि एक हफ्ते पहले भी इसी पोखर से एक नवजात बच्ची का शव मिला था। पुलिस को सूचना देने के बाद भी पुलिस को आने में देर होती देख स्थानीय लोग सड़क जाम कर प्रशासन विरोधी नारेबाजी करने लगे।
गिरीश जी ने नगर थाना प्रभारी सीताराम प्रसाद के हवाले से बताया कि नवजात बच्ची के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। मामले की जांच की जा रही है। पुलिस को इलाके में चल रहे प्राईवेट अस्पतालों पर शक है। टीम पा-लो ना ने इस संबंध में भाजपा नेता श्री बालेंदु झा से भी बातचीत की, जो घटना के समय वहां मौजूद थे। उन्होंने भी इन घटनाओं के लिए डॉक्टर्स को दोषी ठहराया।
टीम महसूस करती है कि शिशु हत्या के मुद्दे पर इतनी ज्यादा अज्ञानता है कि लोग उन घटनाओं के लिए भी मेडिकल प्रेक्टिशनर्स को दोषी ठहरा देते हैं, जिनमें उनका कोई रोल ही नहीं होता है। शिशु हत्या बच्चों के जन्म के बाद उनकी हत्या होती है, जिसके लिए डॉक्टर्स को दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए, बल्कि यह बहुधा परिवार के लोगों द्वारा अंजाम दी जाती है।
महत्वपूर्ण सवाल ये है कि एक हफ्ते में दो-दो बच्चियां उस तालाब तक कैसे पहुंची। क्या उनकी मौत के बाद उन्हें वहां डाला गया था या फिर जिंदा ही फेंक दिया गया था। क्या पुलिस कभी इन मामलों को सॉल्व कर पाएंगी।
28 मई 2018 दरभंगा, बिहार (F)