उसके गालों पर लुढ़के हुए आंसुओं के सूखे से निशान थे। ये आंसू भूख से निकले थे, डर से निकले थे, या उस सदमे से, जो अपनों ने दिया था, कहा नहीं जा सकता। वो भले ही बोल नहीं सकती, लेकिन महसूस तो कर सकती थी। उसी अहसास ने उसे बता दिया था कि अब वह किसी की राजदुलारी नहीं है, इसलिए मुलायम बिछौने या मां की नर्म गोद में नहीं, बल्कि झाड़ियों में पड़ी है। न जाने कब वहां फेंकी गई थी और कितनी देर जीवित रही, जब तक उस पर किसी की नजर पड़ी, उसमें कुछ बाकी नहीं बचा था, सिवाय उसके दर्द की गवाही देते उन आंसुओं के निशानों के।
घटना भिवानी के तोशाम स्थित खानक गांव से डाडम जाने वाले मार्ग पर पिंजोखरा मोड़ के पास जेवरा स्टोन क्रशर के नजदीक रविवार को घटी।
स्थानीय पत्रकार श्री धर्मेंद्र यादव ने बताया कि रविवार सुबह नलवा गांव निवासी लीला शौच के लिए सड़क से नीचे उतरा तो उसे झाड़ियों में किसी बच्चे की मौजूदगी का अहसास हुआ। उसने उसे बाहर निकाला तो ये एक पांच-छह महीने की बच्ची का शव था, जिसके गालों पर आंसुओं के सूख जाने के निशान थे। लीला ने तुरंत सरपंच और पुलिस को सूचना दी। मामले को गंभीर समझ कर डीएसपी कुलदीप बेनीवाल स्वयं घटनास्थल पर पहुंचे और बच्ची के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
लीला की शिकायत पर अज्ञात के खिलाफ आईपीसी की धारा 317 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। बच्ची के शरीर पर किसी चोट के कोई निशान नहीं मिले हैं। प्रथम दृष्ट्या पुलिस ये मानकर चल रही है कि बच्ची के माता-पिता ने उस पालने में अक्षम होने पर वहां झाड़ियों में फेंक दिया होगा। भूख और प्यास से जिससे बच्ची की मौत हो गई होगी। असली वजह तो पोस्टामार्टम के बाद ही पता चल सकेगी। फिलहाल पुलिस ने मामले की जांच पड़ताल के लिए दो टीमें गठित कर दी हैं। आशंका है कि बच्ची दूसरे प्रदेशों से मजदूरी करने आए मजदूरों की हो सकती है।
25 फरवरी 2018 तोशाम, भिवानी, हरियाणा (F)