उसके सिर और मुंह पर खून लगा था, जिस पर राख और भूसा चिपक गए थे। नाल शरीर पर लटकी हुई थी। नौ महीने तक कोख में सहेजने वाली मां उसे तीन-चार घंटे भी अपने पास नहीं रख पाई थी। उसका दोषी कौन था, कहना मुश्किल है। घटना अंबाला के सिटी घेल रोड के नरेश विहार मे शनिवार शाम तीन-चार बजे के आस-पास घटी।
चाईल्ड वेलफेयर कमेटी के श्री गुरदेव सिंह ने पा-लो ना को बताया कि नरेश विहार में रहने वाले हरप्रीत नामक युवक ने बाजार से लौटने पर नोटिस किया कि उनके घर के पीछे खाली पड़े प्लॉट में लोगों की भीड़ इकट्ठा है। उन्होंने वहां जाकर देखा तो एक नवजात लड़का राख और भूसे के ढेर पर पड़ा था। एक महिला ने उसे सबसे पहले देखा था, जो वहां उपले थापने गई थी और बच्चे के रोने की आवाज ने उसका ध्यान खींचा था, जिससे उस महिला ने आस-पास वाले लोगों को बुला लिया था। वहां उस वक्त कई लोग खड़े थे, लेकिन पुलिस के डर से बच्चे को उठाने की हिम्मत कोई नहीं कर पा रहा था।
मगर हरप्रीत से नहीं रहा गया। उन्होंने पड़ोस से एक कपड़ा मंगवाया और बच्चे को उसमें लपेट कर उसे तुरंत पास ही स्थित ईश्वर अस्पताल में ले गए। उस की स्थिति बहुत क्रिटिकल थी। प्री-मेच्योर होने की वजह से वजन मात्र 1.7 किलोग्राम था, शूगर लेवल, तापमान और ब्लड प्रेशर भी कम था। उसे इन्फेक्शन हो चुका था। उसके चारों तरफ खून और गंदगी लिपटी थी। तुरंत उसे साफ करके आईसीयू में रखा गया।
हरप्रीत ने ही चाईल्ड लाईन को भी फोन किया और बच्चे की जानकारी दी। कुछ ही देर में सीडब्लूसी, चाईल्ड लाईन तथा पुलिस चौकी नंबर 1 की टीम वहां पहुंच गई। पुलिस आस-पास के सीसीटीवी खंगाल रही है, ताकि उसे वहां फेंकने वाले का पता लगाया जा सके।
पा-लो ना की टीम बार-बार ये आग्रह करती है कि अनचाहे बच्चे को फेंकने की बजाय उसे सुरक्षित हाथों में सौंप दें, ये पूरी तरह से कानूनी है। यदि फिर भी डर लगता हो तो कम से कम उसे सुरक्षित स्थान पर जरूर छोड़ें, ताकि उसकी जान बचाई जा सके।
17 मार्च 2018 अंबाला, हरियाणा (M)