वह लाल कपड़े में लिपटा था और कचरे के ढेर में पड़ा था। उसके ऊपर कचरा फेंकने वालों ने भी ये देखने की जहमत नहीं उठाई कि वहां सिर्फ कूड़ा ही है या कोई नवजात शिशु भी पड़ा है। शायद किसी ने उसके वहां होने की उम्मीद भी नहीं की होगी। लेकिन वह वहां मौजूद था, बिना सांसों के, बिना प्राणों के। एक सफाईकर्मी की नजर उस पर पड़ी, तब उसे वहां से निकाला गया। घटना देवघर के नगर थाना क्षेत्र के वीआईपी चौक के पास बुधवार सुबह घटी।
स्थानीय पत्रकार श्री रजनीश ने पा-लो ना को बताया कि सुबह जब एक सफाईकर्मी उस कचरे के ढेर के पास गया तो उसमें एक बच्चा उसे नजर आया। लेकिन उस बच्चे की मौत हो चुकी थी। उसके बताने पर जल्द ही वहां लोगों की भीड़ लग गई। बच्चे के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
सीनियर इंस्पेक्टर के हवाले से रजनीश ने बताया कि पुलिस इस तरह के मामलों को दर्ज तो करती है और पोस्टमार्टम भी होता है। लेकिन किसी तरह का कोई सुराग नहीं मिलने की वजह से जांच पूरी नहीं हो पाती।
पा-लो ना टीम भी पुलिस की इस मजबूरी को समझती है, लेकिन दूसरे राज्यों के ऐसे मामले भी टीम के पास आए हैं, जो केवल पुलिस और बाल कल्याण समिति की सतर्कता और ईमानदार प्रयासों की वजह से ही सुलझ पाए हैं। इसी की उम्मीद टीम बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में भी करती है, जहां शिशु परित्याग और हत्या का अपराध हर बीतते दिन के साथ बढ़ता ही जा रहा है।
16 मई 2018 देवघर, झारखंड (M)