क्या हुआ –
सुबह का समय और झीनी झीनी बारिश हो रही थी। ऐसे में एक नवजात शिशु के रोने की लगातार आती आवाजों को लोग नजरंदाज नहीं कर सके। जैसे ही वे आवाज की दिशा में पहुंचे तो देखा कि एक छोटी सी बच्ची वहां गोदाम के छज्जे के नीचे
सहेज कर रखी गई है।
यह घटना खूंटी के मुरहू प्रखंड परिसर के नजदीक स्थित एफसीआई गोदाम के छज्जे के नीचे घटी। बच्ची को वहां निपट अकेले देख तुरंत ही मुरहू पुलिस थाने को सूचना दी गई। पुलिस उसे तत्काल सीएचसी ले गई और वहां से चाईल्डलाइन के
माध्यम से बच्ची को बाल कल्याण समिति के सुपुर्द कर दिया गया।
बच्ची फिलहाल सदर अस्पताल में है और एकदम स्वस्थ है। जल्द ही उसे रांची स्थित स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी भेज दिया जाएगा।
पा-लो ना को घटना की सूचना झारखंड राज्य बाल संरक्षण आयोग की पूर्व अध्यक्ष व सोशल एक्टिविस्ट श्रीमती आरती कुजूर से मिली।
सरकारी व अन्य पक्ष –
“बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है। उसके शरीर पर किसी भी चोट या खरोंच का निशान नहीं है। उसे आज ही अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाता, लेकिन बेहतर देखभाल दिलवाने व किसी भी अनिष्ट की आशंका को खत्म करने
के उद्देश्य से तीन दिन तक अस्पताल में रखने के निर्देश दिए गए हैं। उसके बाद बच्ची को रांची स्थित स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी भेज दिया जाएगा।” –
श्री बैद्यनाथ व सुश्री लीना केरकट्टा, बाल कल्याण समिति, खूंटी, झारखंड
“पुलिस को बुधवार सुबह फोन पर बच्ची की सूचना मिली। उस वक्त बारिश हो रही थी। वह जगह थाने से महज 500 मीटर की दूरी पर थी। इसलिए तुरंत ही बच्ची को वहां से उठाकर अस्पताल ले जाया गया। वह पूरी तरह
सुरक्षित है और अब सीडब्लूसी के संरक्षण में है। इस मामले में सनहा दर्ज की गई है। अभी तक इसमें कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है और न ही ऐसा करने के निर्देश मिले हैं।” –
सब इंस्पेक्टर पप्पू शर्मा, थाना प्रभारी, मुरहू, खूंटी, झारखंड
“एक बच्ची आज सुबह करीब सात बजे मुरहू गोदाम के पास मिली। मेडिकल स्टाफ की मानें तो बच्ची का जन्म रात में ही किसी समय हुआ होगा। उसे वहां रखे ज्यादा देर नहीं हुई थी, ऐसा लगता है।” – श्री अजय कुमार, स्थानीय पत्रकार, खूंटी, झारखंड
पा-लो ना का पक्ष –
पा-लो ना मुरहू पुलिस व उस अनजान शख्स के प्रति शुक्रगुजार है, जिन्होंने समय पर बच्ची को नोटिस किया और बिना समय गंवाए उसे मेडिकल केयर दिलवाई। उनके इस कदम ने बच्ची के जीवित रहने के चांसेज को
बढ़ा दिया है।
पा-लो ना यह भी मानता है कि जरूरी नहीं कि बच्ची को वहां उसकी मां ने ही छोड़ा हो। उसे परिवार का कोई अन्य सदस्य भी वहां छोड़कर जा सकता है।
पा-लो ना भी इस बात से सहमत है कि बच्ची को वहां छोड़े ज्यादा वक्त नहीं बीता होगा।
ऐसा लगता है कि बच्ची को वहां छोड़ने वाले की नीयत उसे नुकसान पहुंचाने की नहीं रही होगी, वरना वह उसे गोदाम के पास नहीं, बल्कि कहीं किसी निर्जन स्थान पर छोड़ता।
हो सकता है कि उसे सरकार की सेफ सरेंडर पॉलिसी के बारे में नहीं मालूम हो।
इसलिए पा-लो ना की अपील है कि सरकार की सेफ सरेंडर पॉलिसी के बारे में ज्यादा से ज्यादा प्रचार प्रसार होना जरूरी है।
यदि उस क्षेत्र में पालने लगाए जाएं और उनका व्यापक प्रचार भी हो, तब शायद बच्चा रास्ते में नहीं, बल्कि पालने में मिलता।
चाईल्डलाइन के साथ साथ स्थानीय बाल संरक्षण पदाधिकारियों की जानकारी सभी आंगनबाड़ी केंद्रों, जच्चा बच्चा केंद्रों के साथ साथ सभी अस्पतालों व बाजारों में भी डिस्प्ले होनी चाहिए।
बच्ची को वहां छोड़ने वाले की मंशा भले ही बच्ची को नुकसान पहुंचाने की नहीं थी, लेकिन कानून की नजर में यह एक अपराध है, इसलिए पा लो ना की अपील है कि इस मामले में आईपीसी के सेक्शन 317 के तहत
एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।
23 SEPTEMBER 2020
KHUNTI, JHARKHAND (F, A)