वह खेत में पड़ी थी, बोरिंग के पास, एक-डेढ़ फिट के गड्ढे में गीली धरती पर, शरीर पर खून के अलावा और कुछ नहीं लिपटा था। जाने कब से रो रही थी। रात 8-9 बजे के आस-पास गांव की कुछ महिलाएं जब शौच
के लिए उस तरफ गईं तो उसके रोने की आवाज सुनाई दी। ठंड के मौसम में रात का समय और बच्चे के रोने की आवाज ने उन सबको डरा दिया। कोई भूत तो नहीं, इस डर ने उन्हें वहां से भगा दिया। मौके पर जाकर बच्ची
को देखा तक नहीं। फिर 10 बजे के आस-पास रविंद्र यादव नामक व्यक्ति के पास कल्प ओपी प्रभारी श्री लाल बहादुर का फोन आया। गांव में कुछ हुआ है क्या- उन्होंने पूछा। पता करके बताता हूं, रविंद्र यादव ने जवाब दिया।
बाहर निकले, कुछ लोगों से पूछताछ की तो बच्चे वाली सूचना मिली। उन्होंने तुरंत गांव के कुछ और लोगों को इकट्ठा किया, चौकीदार आदि को बुलाया तथा घटनास्थल पर पहुंचे। ये सब हो रहा था जहानाबाद से करीब 15
किलोमीटर दूर सलारपुर गांव में, जहां भूतन यादव नामक ग्रामीण के खेत में बोरिंग के पास एक नवजात बच्ची के फेके हुए मिलने की सूचना लगभग पूरे गांव को थी, मगर कोई डर, तो कोई भ्रम के मारे उस अबोध बच्ची
को वहां से उठाने का साहस नहीं कर पाया था। रविंद्र जब अन्य लोगों के साथ वहां पहुंचे तो करीब 150-200 लोगों की भीड़ वहां इकट्ठी हो चुकी थी। तुरंत बच्ची को वहां से उठाया गया, सांसें अभी चल रही थी। गांव की
आशा बहन ने बच्ची की नाल काटी, गांव की चौकीदार बुधनी देवी ने बच्ची को अपने कपड़े में लपेटा, उसे गर्म तेल आदि लगाया गया, ताकि ठंड के असर को कम किया जा सके। तब तक ओपी प्रभारी लाल बहादुर भी वहां
पहुंच चुके थे। रात में ही बच्ची को सदर अस्पताल के SNCU में भर्ती कराया गया और बुधवार 13 दिसंबर की सुबह बच्ची को चाईल्ड वेलफेयर कमेटी के सुपुर्द कर दिया गया। ताजा जानकारी के अनुसार बच्ची ठीक है,
स्वस्थ है। इस मामले में अभी कोई केस दर्ज नहीं किया गया है।
12 दिसंबर 2017जहानाबाद, बिहार (F)