एक गत्ते के डिब्बे (कार्टन) में पैक कर उस बच्ची को नाले किनारे छोड़ दिया गया था। गमछे के अलावा शरीर के नीचे एक और कपड़ा भी बिछा था, जो कंबल जैसा प्रतीत हो रहा था। घटना रांची के डोरंडा इलाके में डोरंडा कॉलेज के समीप मौजूद नाले के किनारे सोमवार सुबह घटी।
एक्टिविस्ट श्री ऋषभ आनंद ने पा-लो ना को घटना की जानकारी दी, जिसकी पुष्टि पत्रकार श्री सत्य प्रकाश और सुश्री कैली किसलय के अलावा अनेक पत्रकारों और डोरंडा थाना प्रभारी ने भी की। इस जानकारी के मुताबिक, एक नवजात बच्ची का शव एक गत्ते के डिब्बे में पैक करके किसी ने डोरंडा कॉलेज के पास स्थित नाले के किनारे रख दिया। बच्ची के साथ दो कपड़े भी थे, जिनमें से हरे रंग के चैक के कपड़े में वह लिपटी थी, जबकि लाल रंग का कपड़ा उसके नीचे बिछा था। जब पोस्टमार्टम हाउस में बच्ची को छुआ गया तो उसके शव से लिपटे कपड़े गीले मिले। बाकी शरीर पर किसी तरह का कोई चोट या घाव का निशान नहीं था।
पा-लो ना का मानना है कि सामान्य मृत्यु के बाद परिजनों द्वारा बच्ची को अस्पताल में ही छोड़ दिया गया होगा, जिसे बाद में अस्पताल के स्टाफ ने नाले किनारे ले जाकर रख दिया। ऐसा भी हो सकता है कि किसी संस्था के बच्चे की मौत के बाद वहां के स्टाफ ने बच्ची को नाले किनारे रखा हो। वहीं, कुछ पत्रकारों और चाईल्ड एक्टिविस्ट्स के मुताबिक ये भी हो सकता है कि बच्ची को जिंदा ही वहां छोड़ा गया हो और ठंड से बच्ची की मौत हुई हो।
बहरहाल, डोरंडा थाने ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस यदि गहन जांच करे तो इस मामले के दोषी को पकड़ा जा सकता है। पुलिस को केवल इतना पता करना है कि किस अस्पताल में बच्ची की मौत हुई है। बच्ची के शव का पोस्टमार्टम करवा दिया गया है। पोस्टमार्टम हाउस के सूत्रों के मुताबिक, बच्ची की मौत डिलीवरी के दौरान हुई है, हालांकि इस बात की पुष्टि रिपोर्ट आने के बाद ही हो सकेगी।
03 दिसंबर 2018 रांची, झारखंड (F)