उसे काले रंग के एक कंबल में लपेट कर बोरे में बंद कर दिया गया था। इतना ही उसकी जान लेने को काफी था, लेकिन शायद वह अपने नसीब में चंद दिन लिखवा कर लाई थी जिंदगी के, इसलिए उसके रोने की आवाज पर उसे ढूंढ लिया गया। वह अस्पताल में एडमिट भी रही, लेकिन मौत से नहीं बच पाई। घटना बुधवार रात्रि सात-आठ बजे के आस-पास बरियातु थाना एरिया में मौजूद रिम्स परिसर में घटी।
घटना की जानकारी पा-लो ना को बाल कल्याण समिति सदस्य श्री कौशल किशोर से मिली। इसके मुताबिक, एक नवजात बच्ची को बुधवार रात्रि रिम्स परिसर के ए ब्लॉक में पाया गया। यह इलाका रिम्स हॉस्टल एरिया के नजदीक है। करुणा एनएमओ की महिला कर्मचारी ने बताया कि वह बच्ची एक काले रंग के कंबल में लिपटी थी। कंबल में लपेट कर उसे एक बोरे में बंद कर हॉस्टल के नजदीक कूड़े के पास छोड़ दिया गया था। वहां उसकी कराह, उसकी पुकार किसी महिला ने सुन ली और उसने ही बरियातु थाना पुलिस को सूचित किया। तब बरियातु थाना पुलिस ने बाल कल्याण समिति रांची को घटना की जानकारी दी और उनके निर्देशानुसार करुणा एनएमओ की मदद से बच्ची को सीधे रानी चिल्ड्रेन अस्पताल में एडमिट करवाया गया। बच्ची करीब 10-12 दिन अस्पताल में एडमिट रही, लेकिन उसके बाद भी वह रिकवर नहीं कर पाई। उसके पेट में इन्फेक्शन हो गया था।
टीम पा-लो ना को लगता है कि यदि बच्ची को बोरे में और कंबल में बंद नहीं किया जाता तो उसे बचाया जा सकता था। इसके अलावा लोगों को जागरुक करने के लिए युद्धस्तर पर कार्यक्रम आयोजित करने की जरूरत है।
25 जुलाई 2018 रांची, झारखंड (F)