क्या हुआ –
जमशेदपुर के साकची थाना क्षेत्र में एक नवजात शिशु मिला। यह बागे जमशेद गोलचक्कर के पास सड़क किनारे उगी झाड़ियों में रखा हुआ था। रोने की आवाज सुन राहगीरों का ध्यान इस बच्चे की तरफ गया और विनोद नामक युवक ने उसे झाड़ियों
में से निकाल लिया। सूचना मिलने पर साकची थाना पुलिस तत्काल वहां पहुंची और बच्चे को उसी समय एमजीएम अस्पताल में एडमिट करवा दिया गया।
डॉक्टर्स के मुताबिक, शिशु की उम्र करीब छह दिन है और उसका वजन 1.3 किलो है। वह स्वस्थ है और खतरे से बाहर भी। सीडब्लूसी जमशेदपुर ने बच्चे को स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी के सुपुर्द कर दिया है और उसकी मेडिकल कंडीशन से सीडब्लूसी
को अपडेट करने के निर्देश दिए हैं।
पा-लो ना को घटना की जानकारी सोशलाइट श्रीमती अनु पोद्दार से मिली, जिसे स्थानीय पत्रकार श्याम कुमार ने कन्फर्म किया।
सरकारी व अन्य पक्ष –
“एक नवजात शिशु (लड़का) शुक्रवार रात आठ-साढ़े आठ के बीच बागे जमशेद गोलचक्कर के पास झाड़ियों में मिला। पब्लिक ने हमें इन्फॉर्म किया। विनोद नामक लड़के ने उसे झाड़ियों से निकाल लिया था। पुलिस
ने तुरंत वहां जाकर बच्चे को एमजीएम अस्पताल में भर्ती करवाया और सीडब्लूसी को सूचना दे दी।
आज सुबह सबसे पहले उस क्षेत्र के सीसीटीवी फुटेज को खंगाला गया, लेकिन कुछ भी नजर नहीं आया। दरअसल बच्चा जहां मिला है, वह स्थान थोड़ा साइड में है, इसलिए सीसीटीवी की जद में नहीं आ पाया होगा।
इस मामले में अभी कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। सीडब्लूसी जैसा कहेगी, वैसा किया जाएगा।” –
इंस्पेक्टर कुणाल कुमार, थाना इंचार्ज, साकची थाना, जमशेदपुर, झारखंड
“पुलिस ने हमें जैसे ही बच्चे की सूचना दी, हमने उसे तुरंत अस्पताल ले जाने को कहा। डॉक्टर्स के मुताबिक, उसका जन्म हुए छह दिन से ज्यादा बीत चुके हैं। उसकी नाभि भी झड़ चुकी है। यह फुल टर्म डिलीवरी
है, लेकिन वजन काफी कम है। मात्र 1.3 किलो ही उसका वजन है।
वह अभी भी अस्पताल में ही है। वह पूरी तरह स्वस्थ है। लेकिन डॉक्टर्स ने ऑब्जर्वेशन के लिए उसे आगे भी तीन दिन अस्पताल में ही रखने का निर्णय किया है। फिलहाल कोई मेडिकल कॉम्प्लिकेशन नहीं है। हमने पुलिस को भी सीसीटीवी
खंगालने और रिपोर्ट करने को कहा है। बच्चे को सहयोग विलेज को सौंप दिया गया है।” –
श्रीमती पुष्पा तिर्की, अध्यक्ष, सीडब्लूसी, जमशेदपुर, झारखंड
पा-लो ना का पक्ष –
करीब छह दिन तक अपने पास रखकर लड़के को छोड़ने की यह घटना कुछ अलग है। आमतौर पर लोग बेटी होने पर, या कोई मेडिकल प्रॉब्लम होने पर अपने बच्चों को कुछ दिनों/महीनों या साल भर के बाद उन्हें त्याग
देते हैं।
लड़के के केस में जन्म के तुरंत बाद ही उन्हें छोड़ दिया जाता है और ऐसा अक्सर अविवाहित मामलों में होता है।
संभव है कि बच्चे को उसके माता-पिता की बजाय किसी निकट संबंधी ने वहां रखा हो। मकसद उस बच्चे से निजात पाना भी हो सकता है और उसके जन्मदाताओं से किसी प्रकार का मनमुटाव होने पर भी कोई परिचित व्यक्ति
भी यह कदम उठा सकता है।
पा-लो ना के अनुसार, यह घटना आईपीसी 317 के तहत दर्ज होनी चाहिए। इसके लिए साकची थाना इंचार्ज व बाल कल्याण समिति से अनुरोध किया गया है।
शिशु हत्या व उनका असुरक्षित परित्याग एक गंभीर अपराध है, इसके बारे में और सरकार की सेफ सरेंडर पॉलिसी के बारे में जन जन को जागृत किया जाए।
मास अवेयरनैस के अलावा, सभी आंगनबाड़ी वर्कर्स, सभी सरकारी-निजी अस्पतालों, जच्चा-बच्चा केंद्रों में सेफ सरेंडर के विकल्प के साथ-साथ संबंधित जिला अधिकारियों के फोन नंबर भी डिस्प्ले किए
जाएं।
साथ ही इन अपराधों में लगने वाली कानूनी धाराओं को भी प्रमुखता से डिस्प्ले किया जाए।
पा-लो ना बच्चे को बचाने वाले युवक विनोद, साकची थाना इंचार्ज और सीडब्लूसी जमशेदपुर का शुक्रगुजार है, जिन्होंने बच्चे का तुरंत संज्ञान लिया और उसे झाड़ियों से निकाल तत्काल मैडिकल केयर दिलवाने
में अहम भूमिका निभाई।
25 SEPTEMBER 2020
JAMSHEDPUR, JHARKHAND(M, A)