गंदगी के ढेर पर मिली नवजात बच्ची
SAFE SURRENDER है सही विकल्प: पालोना
09 DECEMBER 2022, FRIDAY, HARDOI, UP.
वो मासूम बच्ची इस बात से अनजान थी कि हरदोई में जहां वह है, वो जगह उसके लिए नहीं है। लेकिन जिन्होंने उसे वहां छोड़ा, वो तो अनजान नहीं थे। उन्हें तो गोद और गंदगी के बीच अंतर मालूम था। फिर उन्होंने ऐसा क्यों किया? क्या यही आखिरी रास्ता था उनके पास?
नहीं…
उनके पास और भी विकल्प थे, जिन्हें अपनाकर वे बच्ची को सुरक्षित छोड़ सकते थे।
कब, क्या हुआ?
हरदोई के टंडियावा थाना क्षेत्र के गोपामऊ कस्बे में शुक्रवार को एक नवजात बच्ची ठंड से ठिठुरते हुए मिली। वह मोहल्ला बंजारा में बजरिया वाली चक्की के प्रांगण में गंदगी के ढेर पर मिली। पालोना को इस घटना की जानकारी यूपी के पत्रकार साथी श्री ललित कुमार से मिली। इसके उपरांत चाइल्डलाइन हरदोई से संपर्क किया गया। उन्हें तब तक घटना की जानकारी नहीं थी।
सूचना मिलने के बाद टंडियावा थाना क्षेत्र के अंतर्गत गोपामऊ पुलिस चौकी के अधिकारी श्री के.सी. यादव से संपर्क किया गया। उन्होंने बताया कि बच्ची को उन्होंने वहीं की एक महिला के सुपुर्द कर दिया है। हमने उनसे बच्ची को थाने पहुंचाने के लिए कहा, जिसमें उनका सहयोग नहीं मिला। तब शनिवार सुबह अपनी टीम को हमने बच्ची को लाने के लिए उस क्षेत्र में भेजा। टीम को काफी दिक्कत आई, लेकिन अंततः वे बच्ची को लाने में सफल रहे। हमने बच्ची को एसएनसीयू में एडमिट करवा दिया है। – (चाइल्डलाइन कॉर्डिनेटर श्री अनूप ने जैसा पालोना को बताया।)
रौशन जहां ने दी थी पनाह
शुक्रवार सुबह सुबह चक्की के प्रांगण में बंधी बकरी खोलने आए जाहिर कंडक्टर के पुत्र ने एक शिशु के रोने की आवाज सुनी। वह आवाज उसे वहीं एक तरफ पड़े गंदगी के ढेर की तरफ ले गई। पास जाने पर उसने एक वहां एक नवजात बच्ची को देखा। उसने तुरंत घरवालों को इसकी सूचना दी।
सूचना पाते ही जहीर की पत्नी रोशन जहां ने मौके पर पहुंचकर बच्ची को उठाकर उसकी साफ सफाई की। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रोशन जहां ने बच्ची के लालन पालन का स्वयं जिम्मा ले लिया था।
मौके पर पहुंची पुलिस ने भी बच्ची की सुपुर्दगी रोशन जहां को दे दी थी, हालांकि बच्चा गोद देने का यह सही तरीका नहीं था। सीएचसी अधीक्षक राजीव रंजन ने नवजात बच्ची को सभी टीके समयानुसार लगवाने के लिए भी कहा था।
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हरदोई में बच्ची छोड़ने वालों के पास थे ये विकल्प
1) वे हरदोई की बाल कल्याण समिति (CWC) से संपर्क करके बच्ची को उन्हें सौंप सकते थे।
2) बच्ची के लिए अस्पताल के बेड जैसी सुरक्षित जगह का चयन कर सकते थे।
3) चाइल्डलाइन को फोन कर सकते थे।
ये होना चाहिए: पालोना
1) कभी भी बच्चा कहीं मिले तो सबसे पहले उसे अस्पताल में एडमिट करवाना चाहिए। सार्वजनिक स्थल पर मिलने की वजह से उस में इंफेक्शन हो सकता है और यह भी संभव है कि कुछ कीड़ों ने उसे काटा हो तो सबसे पहले उसे प्रॉपर मेडिकल केयर मिलना जरूरी है।
2) पुलिस को चाइल्ड वेलफेयर कमिटी और चाइल्ड लाइन को बच्चे की सूचना देनी चाहिए थी, ताकि बच्ची को बेहतर इलाज के लिए जिला अस्पताल में एडमिट करवाया जा सके।
3) किसी भी बच्चे को देने की सरकारी प्रक्रिया है, जो कारा के थ्रू होती है। इस प्रक्रिया को फॉलो किए बिना किसी भी बच्चे को कहीं दे देना गैरकानूनी है।
4) इस मामले में पुलिस को आईपीसी सेक्शन 317 और 307 के तहत केस दर्ज करना चाहिए।
5) जैसे एडॉप्शन के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया का पालन किया जाता है, उसी तर्ज पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (WCD) या राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) या सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) को अपनी वेबसाइट पर उन लोगों के लिए एक सुविधा देनी चाहिए जो अपने बच्चे को “सेफली सरेंडर” करना चाहते हैं। बजाय किसी व्यक्ति से संपर्क करने के, वे सीधे उस वेबसाइट पर जाकर अपना ब्यौरा दें। यह प्रक्रिया पूरी तरह से गोपनीय हो, जैसे अभी ऑफलाइन होती है।