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Home    गढ़वा में कुत्ते के मुंह में मिला था नवजात बच्चा

Latest News On Infanticide

गढ़वा में कुत्ते के मुंह में मिला था नवजात बच्चा

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क्या हुआ –
ये घटना सदर अस्पताल गढ़वा के परिसर में घटी, जहां कुत्ते के मुंह में एक नवजात शिशु को
देखकर लोग सकते में आ गए। उन्होंने हंगामा मचाना शुरू कर दिया। सूचना पाकर योगी सेना के
प्रदेश अध्यक्ष विपुल धर दुबे भी वहां पहुंचे।

विपुल के मुताबिक, मंगलवार रात रंका थाना क्षेत्र के कुशवार निवासी किसुना देवी को
प्रसव के लिए सदर अस्पताल में भर्ती किया गया था। किसुना ने बुधवार सुबह करीब साढ़े नौ
बजे मृत बच्चे को जन्म दिया। उसके बाद किसी ने नवजात को छत से नीचे डाल दिया, जिसे
कुत्तों ने लपक लिया। हंगामा होने के बाद आनन-फानन में अस्पताल स्टाफ बच्चे को उठाकर
वापिस ले आया।

अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक, बच्चे का शव उसके परिजनों ने ही नीचे डाला था, जबकि बाल
कल्याण समिति की जांच में ये बात गलत निकली है। उनके अनुसार, इस घटना को अस्पताल स्टाफ
ने ही अंजाम दिया था। पालोना को घटना की जानकारी स्थानीय पत्रकार श्री आशीष अग्रवाल व
श्री अभय तिवारी से मिली।

सरकारी व अन्य पक्ष –
“एक नवजात बच्चे के शव को सदर अस्पताल के प्रथम तल स्थित
लेबर रूम से नीचे फेंक दिया गया, जिसे नीचे खड़े कुत्ते नोंचकर खाने लगे। तब कुछ लोगों
की नजर पड़ने के बाद अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई। हंगामे के बाद ड्यूटी में मौजूद
नर्सों ने शव को उठाकर पुन: लेबर रूम में रख दिया” – श्री आशीष अग्रवाल, स्थानीय
पत्रकार, गढ़वा
“सिविल सर्जन सारा दोष बच्चे के परिजनों पर डाल रहे हैं,
जबकि इस मामले में वह खुद दोषी नजर आ रहे हैं। अस्पताल परिसर में हुई घटना की
जिम्मेदारी उनकी बनती है। जानकारी मिलने के बाद उन्होंने क्या किया, क्या लीगल एक्शन
लिया, सीएस यह बताएँ” – श्री अभय तिवारी, स्थानीय पत्रकार, गढ़वा
“अस्पताल स्टाफ ने बच्चे की बॉडी पेरेंट्स को दी और
उन्होंने फर्स्ट फ्लोर से उसे नीचे डाल दिया। हमारा स्टाफ भला क्यों डालेगा। उसे तो पता
है कहां डालना है” – श्री एन. के. रजक, सिविल सर्जन, गढ़वा
“इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए बाल कल्याण समिति
गढ़वा के द्वारा डीएम को सूचना दी गई है। यही नहीं, रंका चाईल्डलाईन सबसैंटर के राकेश
पांडेय को जांच के आदेश दिए गए थे। सिविल सर्जन का कहना है कि बच्चे की मां ने ही बच्चे
को फेंका था, जबकि चाईल्डलाईन रंका से करवाई गई जांच में ये बात सामने आई है कि शिशु को
अस्पताल के स्टाफ ने ही नीचे डाला था, न कि बच्चे की मां ने। जांच में यह भी पता चला है
कि बच्चे की मां अविवाहित है” – श्री उपेंद्र, बाल कल्याण समिति गढ़वा
“पुलिस को कोई इन्फॉर्मेशन नहीं मिली है। किसी ने कोई
प्रतिवेदन भी नहीं दिया। पेपर में ये घटना छपी थी। सिविल सर्जन अपने स्तर से जांच करवा
रहे हैं। पुलिस ने कोई केस दर्ज नहीं किया है” – अशोक कुमार सिंह, थाना प्रभारी,
गढ़वा
पा-लो ना का पक्ष –
यह बहुत अन-यूज़वल घटना है। आम तौर पर परिजन बच्चे के शव
को अस्पताल से निकलने के बाद रास्ते मे कही भी डाल देते हैं, किसी डस्टबिन, झाड़ी, नाले
या तालाब में। यदि अस्पताल में भी डालते हैं तो निर्जन स्थान पर। इसलिए बच्चे को यूं
डालना संदेह पैदा करता है।
दूसरी बात ये महत्वपूर्ण है कि जानकारी में आने के बावजूद
अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को इन्फॉर्म नहीं किया, जबकि शव को पब्लिक प्लेस पर डाल कर
छोड़ देना IPC 318 के तहत अपराध है। इस मामले में दोषी प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई
होनी चाहिए।
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06 November, 2019 Garhwa, Jharkhand (M, D)

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PaaLoNaa is a cause dedicated to those infants who have been shunned by their own parents. These infants are adandoned in deserted public places like railway lines, ponds, bushes, forests, barren lands for some or the other reasons, compulsions, fears or greed.

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