क्या हुआ –
उस बच्ची की हालत बहुत खराब हो चुकी थी। शरीर गल गया था। शरीर के ऊपरी हिस्से पर काले रंग का बड़ा सा निशान था, जो चोट, पिटाई आदि से नील पड़ने जैसा लग रहा था। उसकी नाभि पर लगा हुआ क्लिप इस बात की चुगली कर रहा था कि
उसका जन्म किसी प्रशिक्षित दाई के हाथों हुआ है।
मन को बेचैन कर देने वाली यह घटना गढ़वा के बंशीधर नगर के अहीरपुरवा में बुधवार तड़के सामने आई। स्थानीय ग्रामीण जब खेतों पर काम करने निकले तो उन्होंने देखा कि एक नवजात बच्ची का शव ब्रह्मस्थान के नजदीक रेलवे साईडिंग
के पास तालाब के पानी में तैर रहा था। बच्ची के शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था।
स्थानीय नगर उटारी थाने को सूचित किया गया। थाने से आए पुलिसकर्मी ने लोगों को शव को दफना देने के लिए कहा। ग्रामीणों ने वैसा ही किया और शव को एक बोरे में डालकर उस गड्ढेनुमा तालाब के पास ही एक गड्ढा खोदकर वहां दफना
दिया।
घटना की जानकारी पालोना को रिपोर्टर उज्ज्वल से मिली। वह भी उस वक्त मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे और लोगों की भीड़ देखकर मामले को जानने के लिए वहां रुक गए थे।
पा-लो ना ने इस घटना की जानकारी डीएसपी दिलीप खलखो को दी और थाना इंचार्ज इंस्पेक्टर अशोक कुमार व सब इंस्पेक्टर राजेश मुंडा से बात कर वस्तुस्थिति जानने का प्रयास किया। तीनों पुलिस अधिकारियों से शव का पोस्टमार्टम करवाने
और इस मामले को प्रथम दृष्ट्या आईपीसी 318 के तहत दर्ज करने का अनुरोध भी किया। इस कवायद के परिणामस्वरूप पुलिस ने कार्रवाई शुरू की।
सरकारी व अन्य पक्ष –
“हम मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे, तभी इस घटना पर नजर पड़ी। बच्ची के पेट का हिस्सा थोड़ा कड़ा लग रहा था। उस वक्त लोग बच्चे को एक बोरे में बंद कर गड्ढे में डालने की तैयारी कर रहे थे। पुलिस
थाने के एक कर्मी भी वहां मौजूद थे। शव को पोस्टमार्टम के लिए नहीं भेजा गया था।
पालोना द्वारा फोन करने पर सब हरकत में आए हैं। शव को गड्ढे से निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा रहा है। मेरे पास भी इसके लिए फोन आया था।” –
श्री उज्ज्वल विश्वकर्मा, रिपोर्टर, नगर उटारी, गढ़वा
“हमारी जानकारी में है ये मामला। बच्चे को कौवे आदि खा रहे थे, इसलिए उसे ढक दिया गया था। असल में बच्चे का पोस्टमार्टम होता नहीं है। अब इस मामले में कार्रवाई कर रहे हैं। शव को पोस्टमार्टम के
लिए भेजा जा रहा है।” –
इंस्पेक्टर अशोक कुमार, थाना इंचार्ज, नगर उटारी, गढ़वा
“यह एक लड़की का शव है। उसके शरीर पर नील पड़ने जैसा तो नजर नहीं आया। लेकिन धूप पड़ने से त्वचा कुछ कड़ी हो गई है। उसका शरीर कई स्थानों से गल भी गया था। ऐसा लगता है कि शव दो-तीन दिन से पानी
में था।” –
श्री राजेश मुंडा, सब इंस्पेक्टर नगर उटारी, गढ़वा
पा-लो ना का पक्ष –
पा-लो ना ने मौके पर मौजूद रिपोर्टर उज्ज्वल विश्वकर्मा व संबंधित पुलिस पदाधिकारियों से बात कर घटना की तह तक जाने का प्रयास किया। पा-लो ना को लगता है कि –
बच्ची का जन्म किसी प्रशिक्षित दाई के हाथों हुआ है। इसकी पुष्टि उसकी नाभि पर लगे क्लिप से होती है।
किसी अस्पताल में यदि बच्चे का जन्म होता तो उसके शरीर पर कोई कपड़ा अवश्य होता, जिसका यहां अभाव है।
बच्ची को जन्म के कुछ देर बाद पानी में डाला गया है। इससे पहले उसे क्लीन किया गया है। वरना उसे प्लेसेंटा आदि भी लगा होता।
इस घटना में एक से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं। बच्ची का जन्म किसी और स्थान पर हुआ है और उसे वहां से लाकर यहां डाला गया है।
यह आसपास का ही कोई क्षेत्र हो सकता है। कोविड 19 की वर्तमान परिस्थितियों में बहुत दूर से किसी बच्चे को लाकर वहां डालना संभव नहीं लगता है।
ऐसी आशंका है कि बच्ची को जिंदा ही पानी में डाला गया हो। अगर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसकी पुष्टि होती है तो साबित हो जाएगा कि यह एक शिशु हत्या है। और तब पुलिस को 318 के साथ साथ इस केस में आईपीसी के सेक्शन 315, 302 व 34 और जेजे एक्ट का सेक्शन 75 भी लगाना होगा।
पा-लो ना को बच्चे की पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार रहेगा। झारखंड, विशेषकर गढ़वा में शिशु हत्या की घटनाओं को लोग निर्भय होकर अंजाम दे रहे हैं। यदि नगर उटारी पुलिस इस मामले में गहन जांच पड़ताल कर दोषियों तक पहुंचने
में कामयाब होती है, तो यह न सिर्फ गढ़वा, बल्कि संपूर्ण राज्य के लिए एक उदाहरण स्वरूप होगी और राज्य के अन्य जिलों की पुलिस को भी ऐसा करने की प्रेरणा मिलेगी।
यह याद रखना होगा कि बच्चों को असुरक्षित कहीं भी छोड़ देना, डाल देना उनकी हत्या का सबसे आसान उपाय है, जिसे विश्वभर में धड़ल्ले से अपनाया जा रहा है। इसे रोकने के लिए सख्त कानूनी कार्रवाई करना जरूरी है।
16 SEPTEMBER 2020
GARHWA, JHARKHAND (F, D)