तीन दिन अस्पताल में रखने के बाद शिशु गृह भेजा
10 FEBRUARY 2023, FRIDAY, DHAR, MP.
धार जिले में छह माह का नवजात बच्चा कुएं के पास मिला। स्थानीय लोगों ने उसे वहां अकेला देख पुलिस को सूचना दी। बाद में सीडब्लूसी के निर्देश पर बच्चे को तीन दिन अस्पताल में रखने के बाद सोमवार 13 फरवरी को शिशु गृह भेज दिया गया।
यहां घटी घटना
पालोना को इस घटना की सूचना डब्लूएआईसी की श्रीमती मीरा मारती से मिली। उन्होंने पालोना के नेशनल ग्रुप में एक न्यूज लिंक शेयर किया। इसके मुताबिक, धार जिले की गंधवानी तहसील के गांव गंधवानी में शुक्रवार शाम एक नवजात बच्चा मिला।
सूचना मिलने के बाद पालोना ने धार के पूर्व सीडब्लूसी सदस्य श्री नवीन कुमार के सहयोग से डीपीओ श्री बलराम ठाकुर से संपर्क किया। उन्होंने घटना की पुष्टि की और बताया –
ग्राम पंचायत के पास स्थित वॉटर वर्क्स के पास छह माह का नवजात बच्चा मिला है। वह शुक्रवार दोपहर को कुछ ग्रामीणों ने बच्चे के रोने की आवाज सुनी। यह आवाज वहां स्थित एक कुएं के पास की झाड़ियों से आ रही थी। वहां पहुंचने पर नवजात शिशु मिला। उसकी उम्र करीब तीन से चार माह है। वह कुएं
बहुत पूछताछ के बाद भी जब बच्चे के परिजनों का पता नहीं चला तो पुलिस को सूचना दी गई। फिर उसे पहले गंधवानी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में और उसके बाद जिला अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती करवाया। तीन दिन शिशु को ऑब्जर्वेशन में रखने के बाद सोमवार, 13 फरवरी को उसे इंदौर के शिशु गृह भेज दिया गया। पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
https://paalonaa.in/jhansi-kya-sach-me-billi-utha-kar-le-gai-thi-uski-do-mah-ki-beti-ko-mother-killed-her-two-month-old-daughter-in-jhansi/
पालोना का पक्ष-
एक बात यहां ध्यान देने वाली है कि बच्चे की उम्र तीन माह से अधिक है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में उसे छह माह का बताया गया है, जबकि बलराम ठाकुर जी के अनुसार, वह तीन से चार माह का है। यानी इतने दिन तक बच्चा अपना परिजनों के साथ रहा है। अगर शिशु के परिजन सरकार की सेफ सरेंडर पॉलिसी के बारे में जानते तो शायद नवजात बच्चे को यूं असुरक्षित छोड़ कर अनजाने में एक गंभीर अपराध को अंजाम नही देते।
उनके इस तरह से नवजात बच्चे को छोड़ देने से उसकी जान को खतरा था। कोई भी जानवर उसे उठाकर ले जा सकता था। कीड़े मकौड़े उसे काट सकते थे। उसे इन्फेक्शन का भी खतरा था।
सरकार को चाहिए कि वह सेफ सरेंडर पॉलिसी पर ज्यादा से ज्यादा जागरुकता कार्यक्रम चलाए।इसके लिए पैम्फलेट्स का सहारा लिया जा सकता है। वहीं, सभी अस्पतालों, जच्चा-बच्चा वार्डों, आंगनबाड़ी केंद्रों और सार्वजनिक स्थलों पर भी सेफ सरेंडर संबंधी पोस्टर्स लगवाए जाने चाहिएं।