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Home    बोकारो के जरीडीह में सड़क किनारे मिला नवजात का शव

Latest News On Infanticide

बोकारो के जरीडीह में सड़क किनारे मिला नवजात का शव

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27 अक्तूबर 2020, बोकारो, झारखंड। 

क्या हुआ –

मंगलवार की सुबह करीब दस-साढ़े दस बजे का समय रहा होगा, जब बोकारो के जरीडीह पुलिस स्टेशन को एक नवजात बच्चे (लड़के) के शव की सूचना मिली। यह शव जैनामोड़ के आगे फोरलेन चौक पर स्थित निरंजन कुमार सिंह के मकान के पास दीवार के साथ सटाकर डाला था। शव मिट्टी में पूरी तरह सना था। गर्भनाल उसके गले के चारों ओर लिपटी थी। प्लेसेंटा भी नजदीक ही पड़ा था। ऐसा लग रहा था कि किसी ने उसे छुपाने के उद्देश्य से उसके शरीर पर मिट्टी पोत दी हो और फिर जल्दबाजी में ऐसे ही छोड़कर उसे भागना पड़ा हो।
पुलिस ने इस मामले में हत्या की आशंका जाहिर करते हुए आईपीसी 315, 318 और 201 के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है और पोस्टमार्टम के बाद शव का अंतिम संस्कार भी कर दिया। पा-लो ना को घटना की जानकारी पत्रकार श्री विप्लव कुमार ने दी।

सरकारी व अन्य पक्ष –

छह-सात महीने के एक नवजात ल़ड़के का शव जैना मोड़ पर रोड किनारे मिला था। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजकर केस दर्ज कर लिया है। –श्री विप्लव कुमार, रिपोर्टर बोकारो, झारखंड

सुबह दस-साढ़े दस बजे के करीब हमें सूचना मिली कि एक नवजात शिशु का शव जैना मोड़ पर हाईवे चौक के पास पड़ा है। ऐसा लगता है कि जन्म के तुरंत बाद उसे वहां डाल दिया गया था। शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था।
गर्भनाल और प्लेसेंटा साथ ही लगा हुआ था। पूरे शरीर पर धूल-मिट्टी लगी थी। पोस्टमार्टम के बाद शव का बांका पुल के पास अंतिम संस्कार कर दिया गया। किसी नतीजे पर पहुंचने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। इस मामले में चौकीदार की कंप्लेन पर आईपीसी 315, 318 और 201 के तहत केस दर्ज किया गया है। स्थानीय लोगों ने बताया कि सुबह 8 बजे तक वहां कोई बच्चा नहीं था। यह चहल पहल वाला स्थान है, जहां से हमेशा लोग गुजरते रहते हैं। इसलिए यदि किसी को अपने स्टिलबोर्न बेबी (जन्म के समय यदि बच्चे की मौत हुई हो) को डिस्पॉज ऑफ करना होगा तो वह किसी निर्जन स्थान को तलाशेगा या अंधेरे में ऐसा करेगा। -सब इंस्पेक्टर कार्तिक कुमार महतो, थाना प्रभारी जरीडीह, बोकारो, झारखंड

https://paalonaa.in/bihar-bhojpur-jagdishpur-crime-news-newborn-found-abandoned-near-petrol-pump-in-jagdishpur-of-bihar/

पालोना का पक्ष (RECOMMENDATIONS)
पा-लो ना जरीडीह थाने के इंचार्ज सब इंस्पेक्टर कार्तिक कुमार महतो के प्रति शुक्रगुजार है, जिन्होंने स्वयं पहल करते हुए न केवल सही सेक्शंस में इस मामले को दर्ज किया, बल्कि उस नवजात के शव को सम्मान देते हुए उसका अंतिम संस्कार भी करवाया। पा-लो ना को भी यही आशंका है कि बच्चे की हत्या हुई है। क्योंकि –

  • बच्चे के गले में चारों तरफ गर्भनाल लिपटी है। ऐसे कई मामले पूर्व में भी पा-लो ना के सामने आए हैं जहां बच्चे के गले में चारों तरफ गर्भनाल को लपेटकर उसकी हत्या की मंशा से उसे छोड़ दिया गया। ऐसे कई बच्चे जहां जिंदा मिले, वहीं कुछ बच्चों को बचाया नहीं जा सका।
  • नाभि लगे होने की वजह से एक संभावना यह भी बनती है कि बच्चे का जन्म किसी अस्पताल में न होकर घर या किसी अन्य स्थान पर हुआ होगा।
  • बोकारो व आस-पास के इलाके में सघन जांच पड़ताल की जाए, आशा वर्कर्स और मिड वाइव्स से पूछताछ की जाए तो इस बच्चे के दोषियों के संबंध में कोई क्लू मिल सकता है। आस-पास के सीसीटीवी कैमरे को भी खंगालने की जरूरत है।
  • इस तरह की अनवांटेड और अन-प्लांड प्रेगनेंसी से उत्पन्न बच्चों के जीवन को बचाने के लिए बहुत जरूरी है कि सरकार की सेफ सरेंडर पॉलिसी के बारे में राज्य में जोर-शोर से प्रचार किया जाए।
    इसके लिए सार्वजनिक स्थलों पर पोस्टर्स लगाए जाएं, पम्फलेट्स बांटे जाएं, पॉश इलाकों के साथ-साथ झुग्गी-बस्तियों में भी यह प्रचार प्रसार हो।
  • इसके साथ-साथ जिला बाल संरक्षण यूनिट के सभी जिम्मेदार अधिकारियों के कॉंटेक्ट नंबर्स सार्वजनिक स्थानों के साथ साथ सभी अस्पतालों, जच्चा बच्चा केंद्रों, थानों, स्कूल्स, कॉलेज में प्रमुखता से डिस्प्ले किए जाएं।
  • प्रचार प्रसार के लिए मीडिया का भी भरपूर सदुपयोग किया जाए और उनके जरिए भी सेफ सरेंडर पॉलिसी व संबंधित जिले में मौजूद वैकल्पिक व्यवस्थाओं, एडॉप्शन होम्स के बारे में आम लोगों को बताया
    जाए।
  • मेडिकल प्रेक्टिशनर्स के साथ मिलकर युवाओं को प्लांड पेरेंटहुड के बारे में बताया जाए, ताकि अनवांटेड प्रेग्नेंसी को रोका जा सके।

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PaaLoNaa is a cause dedicated to those infants who have been shunned by their own parents. These infants are adandoned in deserted public places like railway lines, ponds, bushes, forests, barren lands for some or the other reasons, compulsions, fears or greed.

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