एक नवजात बच्ची जोहड़ के किनारे पड़ी थी। उसके आस-पास कोई नहीं था। इसकी सूचना सरपंच के पास और फिर पुलिस तक पहुंची। छानबीन हुई, लेकिन बच्ची को किसने वहां छोड़ा था, कब छोड़ा था, क्यों छोड़ा था, छोड़ते वक्त जिंदा थी या नहीं, मालूम नहीं चल सका। घटना चरखी दादरी के गांव बेरला में वीरवार को घटी।
पत्रकार श्री धर्मेंद्र यादव ने स्थानीय अखबार में छपी खबर के हवाले से बताया कि बेरला गांव में जोहड़ के किनारे एक नवजात कन्या का शव पड़ा था। बच्ची का शव मिलने की घटना ने गांव में सनसनी फैला दी और कुछ ही देर में सरपंच जगत सिंह समेत पुलिस भी वहां पहुंच गई। रुई व कपड़े में लिपटे बच्ची के शव को पहले दादरी के सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसे पोस्टमार्टम के लिए रोहतक पीजीआई भेजा गया। उसकी उम्र करीब नौ माह बताई गई है।
घटना की रिपोर्ट लिखते समय बच्ची को भ्रूण कहकर संबोधित करना ये दर्शाता है कि शिशु हत्या के मुद्दे पर समाज और मीडिया में आज भी जानकारी का कितना अभाव है। एक सच ये भी है कि भ्रूण और शिशु हत्या में बहुत ही बारीक अंतर होता है, जिसका पता लगाना काफी मुश्किल है। बच्चे के शरीर के अंगों के विकास और उसके वजन के आधार पर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है, लेकिन सही पहचान पोस्टमार्टम के दौरान ही मुमकिन है।
04 जनवरी 2018 चरखी दादरी, हरियाणा (F)