पुलिस को नहीं थी नवजात बच्ची की सूचना
सेफ सरेंडर और लीगल एडॉप्शन पर अवेयरनैस जरूरी – पालोना
14 फरवरी 2023, मंगलवार, सहारनपुर, उत्तर प्रदेश
श्रेया मुखर्जी (इंटर्न)
देवबंद नगर में सांपला रोड पर स्थित पेट्रोल पंप के पास सरसों के खेत में नवजात मिली। खेत में काम कर रहे किसान ने बच्ची के रोने की आवाज़ सुनी और तुरंत उसे अपने साथ ले गए। पुलिस को इस की जानकारी बाद में दी गई।
कब, कहां, कैसे
PaaLoNaa को इस घटना की जानकारी गूगल सर्फिंग के दौरान मिली। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में स्थित देवबंद की है। मंगलवार, 14 फरवरी 2023 को सरसों के खेत में नवजात मिली। बच्ची को पहली बार खेत के मालिक मंजुरा ने देखा तथा उसे अस्पताल ले गए।
मंजुरा के अनुसार, बच्ची को कोई छुपाकर खेत में डाल गया था। उनके विचार में बच्ची मात्र 1 या 2 दिन की ही होगी। मंजुरा ने बच्ची की चिकित्सा के बाद पुलिस को इस घटना की जानकारी दी। इसके बाद मंजूरा बच्ची को अपने घर ले गए। उन्होंने कहा कि वह बच्ची के परिजन के मिलने तक उसका ध्यान रखेंगे।
स्थानीय मीडिया की कलम से-
मंगलवार को किसान मंजूरा अपने खेत में चारे के लिए बरसीम लेने गए थे। इस दौरान उन्हें नवजात बच्चे की रोने की आवाज आई तो वह चौंक गए। उन्होंने खेत के बीचों-बीच पहुंचकर घास में डाली गई बच्ची को उठाया और सीधा अस्पताल लेकर पहुंचे।मंजूरा ने बताया कि उपचार के बाद रेलवे रोड स्थित पुलिस को सूचना देने वह वहां पहुंचे थे। जिसके बाद वह बच्ची को अपने साथ घर ले आए हैं। कोतवाली प्रभारी एचएन सिंह ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है। वह जानकारी करने के उपरांत ही अगली कार्रवाई करेंगे।
राजस्थान में भी घटी है ऐसी घटना
ऐसी ही एक और घटना राजस्थान से सामने आई है। राजस्थान के सीकर जिले के श्रीमोधापुर में भी खेत में नवजात मिली है। 48 घंटे की इस बच्ची को भारी ठंड में न जाने कौन लावारिस स्थिति में छोड़ गया था।
दो बहनों ने सुबह करीब सात बजे बच्ची के रोने की आवाज़ सुनी। उन्होंने जाकर देखा तो उन्हें खेत में नवजात मिली, जो बिना कपड़ों के थी। उन्होंने उसे कपड़ों में लपेटा तथा अस्पताल ले गईं। पुलिस इस घटना की अभी जांच कर रही है।
PaaLoNaa का दृष्टिकोण
- लोकल थाने को इस घटना की सूचना बिना देर किए सहारनपुर की सीडब्लूसी को देनी चाहिए थी। साथ ही बच्ची को उनके सुपुर्द करना चाहिए था। लावारिस अवस्था में मिले बच्चे को इस तरह अपने पास रखना भी गलत है। लेकिन इसमें किसान का दोष नहीं है। क्योंकि भारत में अभी भी लीगल एडॉप्शन को लेकर अवेयरनैस नहीं की जाती। किसान मंजुरा ने बच्ची को खेत से उठाकर, उसे अस्पताल ले जाकर और पुलिस को सूचना देकर अपनी जिम्मेदारी बहुत अच्छी तरह निभाई है।
- इसके अलावा, पालोना का मानना है कि यदि सरकार सेफ सरेंडर पॉलिसी पर व्यापक प्रचार प्रसार करे तो नवजात शिशुओं के साथ होने वाली इस क्रूरता को रोका जा सकता है। बच्चों को इस तरह खुले में असुरक्षित छोड़ना उनकी जिंदगी को जोखिम में डालने जैसा है। यह आईपीसी 317 और 307 की श्रेणी का अपराध है।
- मालूम हो कि जो लोग अपने बच्चे का पालन पोषण करने में सक्षम नहीं है, उनके लिए भारत सरकार ने सेफ सरेंडर पॉलिसी बनाई है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से गोपनीय होती है। इसके बारे में और अधिक जानने के लिए पालोना से 9798454321 पर संपर्क किया जा सकता है।
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