क्या हुआ –
ये बुधवार की सुबह थी। सूरज की किरणें अभी ठीक से फैली नहीं थीं। कुछ अंधेरा था। गांव अमोला निवासी कामेश्वर पासवान जानवरों को चराने निकले तो एक बच्चे के रोने की आवाज ने उनका ध्यान खींचा। इतनी सुबह किसका बच्चा रो रहा
और क्यों, यह सोच वह आवाज की दिशा में बढ़ने लगे। कुछ आगे जाने पर उन्हें जूट का एक बोरा दिखाई दिया। आवाज उसी बोरे में से आ रही थी। जैसे ही उन्होंने बोरे को खोला, उसमें नवजात शिशु को देखकर चौंक गए। उन्होंने आवाज देकर आस-पास
के ग्रामीणों को भी बुला लिया।
बच्चे को जन्म देने के तुरंत बाद ही बिना साफ किए, बिना नाभि काटे पाही (खेत में बना अस्थाई ठिकाना) के नजदीक डाल दिया गया था। ये घटना पलामू जिले के नौडीहा थाना क्षेत्र में घटी। फिलहाल बच्चे को पलामू बाल कल्याण समिति
(सीडब्लूसी) के निर्देशानुसार मिशनरीज ऑफ चैरिटी में भेज दिया गया है।
पालोना को घटना की जानकारी डालटनगंज निवासी श्री मंटू ने दी।
सरकारी व अन्य पक्ष –
“शाहपुर पंचायत के गांव अमोला में बुधवार की सुबह कामेश्वर पासवान को एक नवजात शिशु मिला। कामेश्वर ने वह बच्चा लाकर अपनी बहु सरिता की गोद में डाल दिया। सरिता ने ही एक दाई से बच्चे की नाभि कटवाई
और उसे अपना दूध भी पिलाया। सरिता और मिथिलेश के पहले से पांच बच्चे हैं, जिनमें दो लड़के व तीन लड़कियां हैं।” “ऐसा लगता था कि वे उसे नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते थे, वरना मार कर भी फेंक सकते थे। इसलिए मामले में कोई केस
दर्ज नहीं किया गया है। हमने उसे कपड़ा व गमछा आदि सामान खरीद कर दिया और रविवार को सीडब्लूसी पलामू के सुपुर्द कर दिया।” –
श्री शेखर कुमार, एसआई नौडीहा बाजार, पलामू
“बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है और रविवार को उसे सीडब्लूसी के निर्देश पर मिशनरीज ऑफ चैरिटी में भेज दिया गया है। उसके सभी तरह के मेडिकल इन्वेस्टिगेशंस भी करवा लिए गए हैं।” –
श्री प्रकाश कुमार, डीसीपीओ पलामू
पा-लो ना का पक्ष –
पा-लो ना कमलेश पासवान व उनके बेटे-बहु मिथिलेश व सरिता के प्रति शुक्रगुजार है,जिनकी इस शिशु को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। सब इंस्पेक्टर शेखर कुमार की बात अपनी जगह सही है कि बच्चे को त्यागने वाले शायद बच्चे
को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते थे, लेकिन वे इसके लिए सेफ सरेंडर का रास्ता भी अपना सकते थे। वे बच्चे को सरकार को सौंप सकते थे। जूट में बंद कर खेत में बच्चे को त्यागकर उन्होंने अनजाने में ही एक गंभीर अपराध कर दिया। आईपीसी
सेक्शन 317 के तहत यह एबेंडनमेंट एंड एक्सपोजर का केस है और जेजेएक्ट, सेक्शन 75 के तहत बच्चे के साथ अत्य़ाचार का।
इसलिए पा-लो ना पलामू पुलिस से अपील करता है कि उपयुक्त सेक्शंस में इस केस को दर्ज करे। इस घटना ने एक बार फिर यह एहसास करवाया है कि –
सरकार की सेफ सरेंडर पॉलिसी के बारे में ज्यादा से ज्यादा प्रचार प्रसार होना जरूरी है।
यदि उस क्षेत्र में पालने लगाए जाएं और उनका व्यापक प्रचार हो, तब शायद बच्चा रास्ते में नहीं, बल्कि पालने में मिलता।
चाईल्डलाइन के साथ साथ स्थानीय बाल संरक्षण पदाधिकारियों की जानकारी सभी आंगनबाड़ी केंद्रों, जच्चा बच्चा केंद्रों के साथ साथ सभी अस्पतालों में भी डिस्प्ले होनी चाहिए।
02 September 2020
Palamu, Jharkhand (M, A)