क्या हुआ –
काले रंग के पॉलीथिन में पैक एक नवजात शिशु (लड़का) मंगलवार की सुबह डस्टबिन के अंदर मिला तो उस चौक पर हलचल मच गई। देखते ही देखते मकतपुर हाई स्कूल के पास लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई। सब शांति भवन के सामने डस्टबिन के अंदर मौजूद बच्चे को निहार रहे थे। वहां पचासों लोग खड़े थे, लेकिन किसी की भी हिम्मत नहीं हुई उसे गोद में उठाने की।
स्थानीय पत्रकार के अनुसार, स्वास्थ्यकर्मियों का इंतजार करते वे उसे निहारते रहे और बच्चे ने दम तोड़ दिया। सदर अस्पताल घटनास्थल से महज सौ मीटर की दूरी पर है। पुलिस पहुंच चुकी थी, लेकिन डस्टबिन में हाथ नहीं डालना चाह रही थी। साढ़े सात बजे के बाद जब वहां से गुजर रहे दो लोगों ने उसे उठाने की कोशिश की, तब तक बच्चे की मौत हो चुकी थी। उसके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था और शायद यही उसकी मौत का कारण भी बना। घटना सुबह छह से आठ बजे के बीच की है।
पालोना को घटना की सबसे पहले जानकारी पत्रकार श्री धनंजय ने दी, जिसे पत्रकार श्री अमर व श्री मनोज कुमार पिंटू ने पुष्ट किया।
सरकारी व मीडिया का पक्ष –
“शव का पोस्टमॉर्टम कराने के बाद उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने पर पता चलेगा कि बच्चे की मौत किस कारण से हुई। इसी आधार पर आगे की कार्रवाई की जायेगी।” –
इंस्पेक्टर आदिकांत महतो, टाउन थाना प्रभारी, गिरिडीह
“फिलहाल मामले में सनहा दर्ज की गई है। जांच चल रही है। बच्चे के जीवित होने की जानकारी हमारे सामने नहीं आई है।” –
सब इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार, टाऊन थाना, गिरिडीह
“मेरा घर मौकास्थल से कुछ ही दूरी पर है। इसलिए जैसे ही सूचना मिली, मैं तुरंत वहां पहुंचा। उस वक्त बच्चा जीवित था। उसकी सांसें धीरे धीरे चल रहीं थीं। पुलिस और सदर अस्पताल को फोन किया जा चुका था। लेकिन उन्होंने आने में देर कर दी, जबकि सदर अस्पताल घटनास्थल से बहुत नजदीक है। पुलिस पहुंची, लेकिन डस्टबिन में हाथ डालने से बच रही थी। भीड़ में से किसी की भी हिम्मत नहीं हुई उसे वहां से उठाने की। हम भी डरे हुए थे कि कहीं उठाने से उस बच्चे को कोई नुकसान नहीं हो जाए। इतने छोटे बच्चे को उठाने का अनुभव नहीं है, लेकिन यही गलती हो गई। यहां इन घटनाओं को लेकर कोई अवेयरनैस भी नहीं है, जबकि गिरिडीह में ये मामले अकसर होते रहते हैं। साल 2019 में 10 से ज्यादा इस तरह के केस सामने आए थे।” –
श्री मनोज कुमार पिंटू, पत्रकार, न्यूजविंग, गिरिडीह
पा-लो ना का पक्ष –
रिपोर्टर की बात से लगता है कि बच्चे को बचाने का यदि वक्त पर प्रयास किया गया होता तो शायद उसे बचाया जा सकता था। जिस समय वह डस्टबिन में गंदगी और ठंड से लड़ रहा था, उस वक्त उसे साफ सुथरे वार्मर में होना चाहिए था।
पालोना के मुताबिक –
पालोना ने रिपोर्टर से आग्रह किया है कि भविष्य में इसी तरह के हालात आने पर वे बेहिचक सबसे पहले बच्चे को उस जगह से उठाएं, जहां वह मिला है और सबसे नजदीकी अस्पताल में ले जाएं। उसे बचाने का प्रयास करते हुए यदि बच्चे की मृत्यु हो जाती है तो भी घबराएं नहीं, बल्कि इस बात की संतुष्टि रखें कि उन्होंने अपनी तरफ से पूरा प्रयास किया।
पालोना ने गिरिडीह की बाल कल्याण समिति व जुवेनाईल जस्टिस बोर्ड से सार्वजनिक रूप से मौखिक अपील की है कि वे इस मामले का संज्ञान लेते हुए कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करवाएं, क्योंकि यह उनके अधिकार क्षेत्र का मामला है।
पालोना ने स्थानीय मीडिया से भी अनुरोध किया है कि वे अपनी खबरों में इसे प्रमुखता से स्थान दें कि किसी नवजात का शव मिलने पर भी पुलिस प्रथम दृष्टया IPC सेक्शन 318 के तहत मामला दर्ज करे और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए जरूर भेजें।
घटनास्थल पर खडी भीड़ मां को कोसने के बजाय बच्चे को बचाने का प्रयास करे।
कोई भी व्यक्ति यदि ऐसी हालत में किसी बच्चे को देखता है, जिस हालत में गिरिडीह में ये बच्चा मिला है तो उसकी सबसे पहले यह जिम्मेदारी है कि वह बिना समय गंवाए उसे मेडिकल केयर दिलवाने का हर संभव प्रयास करे।
यह धारणा भी अब बदलनी होगी कि ऐसे मामलों में हमेशा मां ही दोषी होती है।
पुलिस व मेडिकल प्रोफेशनल्स को ये समझना होगा कि इन नन्हे बच्चों के अंदर विपरीत हालात से लड़ने की क्षमता अन्यों के मुकाबले बहुत कम होती है। इसलिए वह कार्रवाईयों में समय जाया न कर जल्द से जल्द मौकास्थल पर पहुंचे और तेज गति से उसे राहत पहुंचाने का काम करें।
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07 January, 2020
Giridih, Jharkhand (M, D)