वह छोटी सी बच्ची एक पॉश इलाके में प्रभावशाली लोगों की रिहाईश के किनारे रास्ते में खून से लथपथ पड़ी थी। अपनी ही मां के खून से सनी। किसने और क्यों उसे वहां छोड़ा था, इसकी जानकारी नहीं है। उसे वहां
जानबूझकर छोड़ा गया था या फिर किसी के आने की आहट से वहां छोड़ने को बाध्य होना पड़ा था, इसकी भी जानकारी पा-लो ना के पास नहीं है, मगर इंसानियत में विश्वास करते हुए हम ये उम्मीद करते हैं कि बच्ची को
वहां छोड़ने वाले की मंशा बच्ची को नुकसान पहुंचाने की नहीं, वरन् उसे बचाने की थी। इसीलिए उसे किसी निर्जन स्थान पर नहीं फेंक कर एक अपार्टमेंट के किनारे रास्ते में रख दिया था। बच्ची शायद जल्दबाजी में वहां छोड़ी
गई थी। उसे क्लीन नहीं किया गया था। बच्ची सुरक्षित है और स्वस्थ भी। मामला कोडिचिक्का-नाहल्ली मुख्य मार्ग, बोमनहल्ली, बंगलुरू का है। बोमनहल्ली पुलिस थाना क्षेत्र के रॉयल लीजेंड अपार्टमेंट के आस-पास आज सुबह
अजीब सी हलचल थी। वहां अपार्टमेंट से सटे रास्ते पर किनारे में रक्त सनी एक बच्ची एक कपड़े में लिपटी पड़ी थी। सुबह करीब 8-9 बजे के आसपास बच्ची पर लोगों की निगाह पड़ी तो उसे स्वास्थ्य जांच के लिए
निमहन्स अस्पताल ले जाया गया। बच्ची स्वस्थ है और फिलहाल अस्पताल में ही है। इस मामले में और भी कई तरह की बातें सामने आ रही हैं। जैसे कुछ लोगों का कहना है कि बच्ची को अपार्टमेंट के बाहर रास्ते पर पड़े
पाया गया तो कुछ का कहना है कि वह अपार्टमेंट के अंदर मिली। इसी बिना पर कुछ स्थानीय लोगों को पुलिस पूछताछ के लिए अपने साथ ले गई थी, जिन्हें शाम को छोड़ दिया गया। मालूम हो कि साल 2016 में कर्नाटक
में नवजात शिशुओं की हत्या के 2 और बच्चों को छोड़ने के 98 मामले दर्ज किए गए थे। यह खुलासा नेशनल क्राईम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी डाटा से हुआ है। पर झारखंड के अपने अनुभव के आधार पर हम दावा कर सकते
हैं कि इन बच्चों की वास्तविक संख्या इससे कहीं ज्यादा होनी चाहिए, लेकिन ये मामले दर्ज ही नहीं किए जाते हैं, इसलिए ये प्रकाश में नहीं आ पाते।
04 दिसंबर 2017बोमनहल्ली, बंगलुरू (F)