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लड़की थी, इसलिए मारना चाहते थे क्या उसे - Paalonaa

लड़की थी, इसलिए मारना चाहते थे क्या उसे

बच्चे का सीडब्लूसी के ऑफिस पहुंचना नहीं, बल्कि अस्पताल पहुंचना है जरूरी

सांचौर में जमीन में दबी मिली थी नवजात बच्ची

NEWBORN BABY FOUND IN SANCHORE R

नामालूम सी एक खामोशी ओढ़े वह चुपचाप लेटी थी वहां। ऊपर जलता सूरज, नीचे तपती धरती। बीच में वो, एकदम नंगे बदन, दायीं करवट लेटे, मिट्टी में लथपथ। वो वहां है, मालूम ही कहां हो रही थी। तब तक, जब तक उसके पास पड़ी एक बड़ी लकड़ी को उठा कर साइड में फेंक नहीं दिया गया।
शायद आसपास हो रही हलचल ने चिर निद्रा में विलीन होती उसकी बेहोशी को तोड़ दिया था, या शायद ये जीवन की दस्तक थी, जिसे उसने महसूस कर लिया था। पहले कुनमुनाई और फिर जोर-जोर से रोना शुरू कर दिया। सांसों की इस लड़ाई को कई बार रिवर्स करके देखा, समझने की कोशिश की, क्या कहना चाहती है वो, लेकिन समझना आसान है क्या उसके दर्द को समझना, जो शायद लड़की होने की वजह से उसे मिला था…

तीन दिन पहले पता चली थी सांचौर (जालोर), राजस्थान की ये घटना। अरविंद प्रताप जी ने शेयर किया था। किन्हीं चिराग पांडेय के फेसबुक वॉल से लेकर। सब सामने था, फोटो, वीडियो, बच्ची को बचाते लोग, फिर भी कन्फर्म करना जरूरी था। छोटी सी छोटी जानकारी लेना जरूरी था। किस जिले की थी, ये भी तो नहीं मालूम था। सांचौर के जिन पत्रकार का नंबर कल मिला, वे अपना फोन घर पर छोड गए। थे। परिजनों की बोली मेरी समझ से परे थी। फिर से कवायद करनी पड़ी और आज जाकर जिला भी कन्फर्म हो गया और घटना भी।

NEWBORN FOUND IN SANCHORE RAJASTHAN

इस नवजात बच्ची को बचा लिया गया, जिसकी सबसे बड़ी वजह थी वहां तुरंत मेडिकल स्टाफ का पहुंच जाना। ऐसे कई केस अब तक सामने आ चुके हैं, जहां केवल मेडिकल स्टाफ की मौजूदगी की वजह से बच्चों का जीवन बचाया जा सका। जैसे-जैसे ये लड़ाई आगे बढ़ रही है, वैसे वैसे लड़ाई के लिए कई फ्रंट भी खुलते जा रहे हैं। नई चीजें पता चल रही हैं, उनके होने की जरूरत महसूस हो रही है। जैसे कि बेहद असुरक्षित हालात में मिलने वाले इन बच्चों तक सबसे पहले मेडिकल स्टाफ की पहुंच।

अमूमन किसी बच्चे के मिलने पर लोग या तो थाने को पहले फोन करते हैं, या बाल कल्याण समिति या चाईल्ड लाईन को। लेकिन हाल में मिले कुछ मामलों ने ये अहसास करवाया कि किसी के भी बच्चे तक पहुंचने से पहले जरूरी है कि उस तक मेडिकल केयर पहुंच जाए या उसे अस्पताल पहुंचा दिया जाए। ये कार्य जितनी जल्दी होगा, उतना ही बच्चों को बचाने की संभावना बढ़ जाएगी। यही इस मामले में भी हुआ। फिलहाल नवजात बच्ची जालोर के एमसीएच में एसएनसीयू में इलाजरत है।