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Umaria: जिला अस्पताल में मिला नवजात शिशु

शुक्रिया कि तुमने बच्चे को असुरक्षित नहीं छोड़ा

सीसीटीवी में कैद हुई नवजात को छोड़ने वाली महिला

8 फरवरी, बुधवार, उमरिया, मध्य प्रदेश

उमरिया के जिला अस्पताल में एक नवजात शिशु किचेन के पास मिला। उसे वहां छोड़ने वाली महिला सीसीटीवी में नजर आ रही है। नवजात को शहडोल के शिशु गृह में भेज दिया गया है।

umaria ke jila aspatal me mila navjat shishu

कब, कहां, कैसे

पालोना को इस घटना की सूचना गूगल न्यूज़ सर्फिंग के दौरान मिली। इसके मुताबिक, बुधवार 08 फरवरी  को उमरिया के जिला अस्पताल में किचेन के पास एक नवजात शिशु (लड़का) मिला। सीसीटीवी में एक महिला बच्चे को वहां रखती नजर आ रही है। यह महिला लाल साड़ी पहने हुए है और उसने अपना मुंह ढका हुआ है।

सूचना मिलने के बाद सतना सीडब्लूसी अध्यक्ष श्रीमती राधा की मदद से उमरिया के सीडब्लूसी अध्यक्ष श्री दिव्य प्रकाश से संपर्क किया गया। उन्होंने घटना की पुष्टि की और बताया कि- 

बच्चा प्रीमेच्योर है। सीसीटीवी में एक महिला नवजात को वहां रखते हुए नजर आ रही है, लेकिन अभी तक उस महिला की पहचान नहीं हो पाई है। शिशु को शहडोल के शिशु गृह (SAA) भेज दिया गया है। अगर जिले में कई जगहों पर पालने (क्रेडल) लगवाए जाएं और उनका प्रचार प्रसार हो तो बच्चों का सुरक्षित बचाया जा सकता है।

शिशु गृह भेजने से पूर्व क्या लिखा स्थानीय मीडिया ने-

उमरिया के जिला अस्पताल में एक नवजात मिला। अज्ञात महिला उस बच्चे को अस्पताल में रसोई के पास छोड़ कर चली गई| वह शिशु कपड़े में लिपटा हुआ था। उसके रोने की आवाज सुन कर अस्पताल के एक स्टाफ ने उसे देखा। जिसे तुरंत बाद अस्पताल प्रबंधन को सूचना दी गई। महिला को सीसीटीवी फुटेज में देखा गया है। वह लाल साड़ी में थी और अपने मुंह को कपड़े से ढके हुए थी। नवजात को वहां रखने से पहले वह महिला अस्पताल में घूमती हुई नजर आई|

वहीं, शिशु का परीक्षण करने वाले डॉक्टर केसी सोनी ने ये कहा था-

वह नवजात शिशु स्वस्थ है, पर उसका वजन कम है। उस बच्चे को उपचार के लिए एसएनसीयू में भर्ती किया गया है। जब नवजात शिशु का उपचार हो जाएगा तो उसे शिशु गृह भेज दिया जाएगा |

पालोना का पक्ष

ये राहत की बात है कि नवजात को वहां छोड़ने वालों ने समझदारी बरती। उन्होंने शिशु को असुरक्षित नहीं छोड़ा, बल्कि अस्पताल जैसी सुरक्षित जगह पर छोड़ा। यह SAFE ABANDON की श्रेणी में आता है।

भारत में बच्चों को भगवान का रूप माना जाता है। लेकिन ज्योंज्यों दिन बीतते जा रहे हैं, वैसेवैसे अधिक से अधिक शिशुओं को लापरवाही से असुरक्षित परिस्थितियों में छोड़ दिया जाता है।

यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आम जनता को इस मुद्दे पर अवेयर किया जाए। साथ ही, इस अपराध को रोकने के लिए मौजूद कानूनों और सरकार की नीतियों से अवगत कराया जाए। विशेषकर, सेफ सरेंडर पॉलिसी के बारे में ज्यादा से ज्यादा प्रचार प्रसार होना चाहिए, ताकि लोग उस गंभीर अपराध को करने से खुद को बचा सकें, जिसे वे अनजाने में अंजाम दे देते हैं। इससे नवजात शिशुओं का जीवन बचेगा। इसके बारे में कारा की वैबसाइट पर सेफ सरेंडर के लिए भी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का ऑप्शन दिया जाना चाहिए। वहीं, सेफ सरेंडर पॉइंट्स को लोगों की रीच में लेकर आना होगा। 

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मालूम हो कि तीन साल पहले भी दो महिलाएं जिला एक नवजात शिशु को अस्पताल के पालने में छोड़ गईं थीं। ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर एवं प्रत्यक्षदर्शी गार्ड आशुतोष भदौरिया ने उस वक्त स्थानीय मीडिया को बताया था कि रात्रि 1:00 बजे के दौरान वे अपनी ड्यूटी पर तैनात थे। उसी समय दो महिलाएं हॉस्पिटल में आईं और डॉक्टर ड्यूटी रूम के सामने रखे हुए पालने में नवजात शिशु को रखकर मौके से दौड़ते हुए बाहर की तरफ भाग गईं।

इसकी सूचना अस्पताल प्रबंधन को दी गई थी। और पुलिस को भी अवगत कराया गया था। नवजात शिशु स्वस्थ मिला था। वहीं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्रीमती रेखा सिंह ने मामले में जांच पड़ताल की बात कही थी।

Report by Isha Sahay, Students of Amity University  (Under Internship Project)

 

ये भी देखें-

 

Madhya Pradesh, PaaLoNaa News

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