
शहडोल: मां क्यों बन बैठी अपनी ही नवजात बच्ची की हत्यारिन
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December 24, 2022
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कूड़े के ढेर में मिला था नवजात का शव
मां के साथ पिता की भी हो जिम्मेदारी सुनिश्चित : पालोना
20 NOVEMBER 2022, SUNDAY, SHAHDOL, MP.
रविवार की दोपहर थी। 3–3.30 बजे रहे थे। शहडोल के पांडव नगर इलाके में कूड़े के ढेर और एक नवजात बच्ची का शव मिला।
पुलिस को थोड़ा समय लगा, लेकिन एक अनजान फोन ने उनकी जांच को एक दिशा दी, जिससे आखिर पुलिस उस बच्ची के असल दोषियों तक पहुंच ही गई।
कब, कहां, कैसे
पालोना को इस घटना की जानकारी गूगल सर्फिंग के दौरान मिली। यह घटना शहडोल मुख्यालय के पांडव नगर इलाके में कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास में 20 नवंबर 2022 को घटी थी।
स्थानीय मीडिया की खबर में बताया गया था कि 20 नवंबर को शहडोल मुख्यालय के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय के पीछे कूड़े के ढेर में एक नवजात बच्ची का शव मिला था। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था।
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पीएम रिपोर्ट में आया कि बच्ची की मौत सिर पर चोट लगने की वजह से हुई थी। जिसके बाद पुलिस ने एक अनजान नंबर से आई कॉल के आधार पर हॉस्टल में रहने वाली एक छात्रा को गिरफ्तार कर लिया था। छात्रा ने पूछताछ में बताया था कि उसका अपने ही गांव के एक युवक से अफेयर था, जिसकी वजह से उसने 18 नवंबर को एक बच्ची को छात्रावास में ही जन्म दिया था।
एक दिन उसने किसी तरह से अपने पास बच्ची को हॉस्टल में ही छुपा के रखा। 20 नवंबर को उसने बच्ची को टॉयलेट की सीट पर पटक कर उसकी हत्या कर दी थी। छात्रा ने उसके शव को कपड़े में लपेटकर छात्रावास के पीछे कूड़े के ढेर में डाल दिया था।
शहडोल पुलिस ने इस मामले में छात्रा के खिलाफ आईपीसी 302 और 201 का मामला दर्ज किया था। छात्रा गोहपारू ग्राम की रहने वाली थी। जिस समय उसने कंसीव किया था, वह 18 साल से कम उम्र की थी। इसलिए इस केस में पुलिस ने छात्रा के बॉयफ्रेंड पर रेप के सेक्शन लगाए हैं। फिलहाल छात्रा की उम्र 18 साल 6 महीने है।
पालोना का पक्ष
पालोना का मानना है कि शहडोल पुलिस ने इस मामले में बिल्कुल ठीक किया है, जो नवजात के पिता को भी अपने घेरे में लिया है। एक शिशु की जिम्मेदारी न सिर्फ मां की, बल्कि पिता की भी होती है। अधिकांश मामलों में, यदि पिता अपनी जिम्मेदारी लेने से इंकार करता है, तभी एक मां अपने नवजात को छोड़ने के लिए विवश होती है।
इस मामले में बच्ची की हत्या करने वाली मां से कोई सहानुभूति पालोना को नहीं है। क्योंकि वह अपने नवजात के लिए कोई सुरक्षित स्थान चुन कर वहां उसे छोड़ सकती थी या अपने जिले की सीडब्ल्यूसी से संपर्क कर उन्हें सौंप सकती थी।
शहडोल जिला प्रशासन को चाहिए कि वह सभी स्कूल और कॉलेज में सेफ सरेंडर को लेकर प्रचार प्रसार करे, ताकि फिर किसी नवजात को इतने बुरे तरीके से मृत्यु को प्राप्त नहीं होना पड़े।
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