वह एक युवा लड़की थी। उम्र यही कोई 18-19 साल। पहनावे से मॉडर्न नजर आ रही थी। सड़क चलते गिर पड़ी और बेहोश हो गई। हॉस्पिटल ले जाया गया तो वहां उसने एक बेटे को जन्म दिया। थोड़ी देर बाद उठी और बच्चे को वहीं छोड़ चली गई। घटना धार के धामनोद स्थित सामुदायिक स्वास्थ केंद्र में बुधवार दोपहर को घटी।
शिशु हत्या पर सजग एवं संवेदनशील महिला श्रीमती मीरा गर्ग ने पा-लो ना से ये सूचना शेयर की, जो दैनिक भास्कर के धार, मध्य प्रदेश एडिशन में छपी थी। इसकी पुष्टि धार की बाल कल्याण समिति के साथ साथ पत्रकार महेश सोलंकी जी ने भी की, जिन्होंने इस घटना को कवर किया था। इसके मुताबिक, करीब 18 साल की एक युवा लड़की, जिसने जींस-टी शर्ट पहनी हुई थी, वह अचानक सड़क पर गिर पड़ी और बेहोश हो गई। उसका प्रसव समीप था। एमरजेंसी महसूस करते हुए एंबुलैंस की सहायता से उसे धामनोद के सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने कुछ ही देर बाद एक बेटे को जन्म दिया। तभी ये अंदाजा लगाया गया कि शायद डिलीवरी पेन की वजह से वह बेहोश हुई हो।
खबर के मुताबिक, होश में आते ही बच्चे को अपनाने के सवाल पर लड़की ने जो जवाब दिया, उसने वहां मौजूद हर किसी को शॉक्ड कर दिया। लड़की बोली- बच्चा किसी को भी दे दो, नहीं तो फेंक दो। मैं इसे अपने साथ नहीं ले जाऊंगी। वो इसी बात पर अड़ी रही। पुलिस भी पहुंची, लेकिन वह अपने इरादे से टस से मस नहीं हुई। फिर वह मां अपने नवजात शिशु को अस्पताल में ही छोड़ कर चेहरे पर स्कार्फ बांधकर सबके सामने से निकल गई। मामले का खुलासा तब हुआ, जब नवजात को जिला अस्पताल धार रैफर किया गया।
धामनोद बीएमओ महेंद्र पाल सिंह डावर के हवाले से खबर में बताया गया है कि युवती जब यहां आई थी, तब उसकी डिलीवरी होने ही वाली थी। युवती की जिद थी कि वह बच्चा नहीं ले जाएगी, क्योंकि वह छात्रावास में रहती है और उसके घरवालों को इस बारे में कुछ नहीं पता। यदि उन्हें पता चलेगा तो ल़ड़की को वे जिंदा मार देंगे, ऐसा लड़की का कहना था। श्री महेंद्र के मुताबिक, उन्होंने पुलिस भी बुलाई थी। साथ ही महिला एवं बाल विकास विभाग और वरिष्ठ अधिकारियों को भी घटनाक्रम से अवगत करा दिया था।
धार बाल कल्याण समिति के श्री नवीन भंवर के मुताबिक, बच्चा प्रीमेच्योर होने की सूचना मिली थी, जिसे बेहतर इलाज और केयर के लिए धार के एनआईसीयू में भर्ती किया गया है। बच्चे के स्वस्थ होने के बाद उसे शिशु गृह भेज दिया जाएगा।
इस बीच, यह भी पता चला कि प्रत्यक्षदर्शियों को इस बात का आक्रोश रहा कि मां के खिलाफ कोई भी कानूनी कार्रवाई नहीं की गई, जबकि नवजात शिशु के लावारिस स्थिति में मिलने पर अज्ञात के खिलाफ पुलिस केस दर्ज करती है। इस मामले में पूरी घटना पुलिस और अस्पताल प्रशासन के सामने हुई, फिर भी वह लड़की उन सबके सामने अपने नवजात को छोड़कर चली गई और पुलिस ने कुछ नहीं किया, इसी बात को लेकर लोग आक्रोशित थे।
पा-लो ना इस मामले में युवा मां को दोषी नहीं मानती है। वह शिशु प्रेम संबंधों का भी परिणाम हो सकता है और उसके साथ हुई किसी ज्यादती का भी। सुकून इस बात का है कि शिशु का जन्म सुरक्षित हो गया और वह सुरक्षित हाथों में पहुंच गया। क्या होता, यदि लड़की बेहोश नहीं होती और वह शिशु को किसी असुरक्षित, गंदे स्थान पर जन्म देती या जन्म के बाद उसे असुरक्षित, अनजान जगह पर छोड़ देती। उस स्थिति में शिशु को बचाना बहुत मुश्किल हो जाता। फिलहाल शिशु स्वस्थ है और जल्द ही उसे शिशु गृह में भेज दिया जाएगा।
हमारा कानून हर उस परिवार को बच्चे को सौंपने का विकल्प मुहैया करवाता है, जो किसी न किसी वजह से बच्चे को अपना नहीं सकता। बच्चे को किसी भी वजह से नहीं स्वीकार करने की स्थिति में बच्चे को सुरक्षित सौंपा जा सकता है। लेकिन इसकी जानकारी सभी को नहीं है, इसलिए वे उन मां-बाप को भी दोष दे देते हैं, जो बच्चों को सुरक्षित सौंप देते हैं।
12 सितंबर 2018 धार, मध्य प्रदेश (M)