वह नन्ही सी बच्ची गड्ढे में पड़ी थी, ठंड में सिकुड़ती, खून में लथपथ। पैदा हुए ज्यादा वक्त नहीं बीता था। शायद उसे पैदा होने के तुरंत
बाद ही वहां फेंक दिया गया था, सब्जी वाले झोले में डालकर। एनएच 107 मधेपुरा मुरलीगंज के बीच चांदनी चौक से पूरब में एमपी बीएड
कॉलेज के पास करीब 3 किलोमीटर का इलाका निर्जन है। वहीं सड़क किनारे एक गड्ढे में उसे फेंका गया था। आस-पास लोगों की भीड़ लगी थी,
पर उसे वहां से उठाकर अस्पताल पहुंचाने का साहस किसी में नहीं था। सब वहां खड़े होकर तमाशा देख रहे थे। ऐसे ही वह मर जाती, यदि
भोलू कुमार, चंदन कुमार, राहुल कुमार और मोहम्मद फिरोज उसे वहां से नहीं उठाते। लोगों की भीड़ देखकर वे भी गड्ढे के पास पहुंचे थे। फिर
बाईक पर उसे लेकर वे सदर अस्पताल पहुंचे। बच्ची को तुरंत ही आईसीयू में भर्ती कर लिया गया। स्थानीय पत्रकार रुद्रनारायण यादव जी ने
बताया कि बच्ची की नाल शायद बांधी नहीं गई थी, जिस वजह से उस का काफी खून बह गया था। उसका बचना किसी चमत्कार से कम नहीं
है। आज भी श्री यादव ने अस्पताल में बच्ची की स्थिति की जानकारी ली। बच्ची स्वस्थ है और सदर अस्पताल मधेपुरा में ही भर्ती है।
28 दिसंबर 2017 मधेपुरा, बिहार (F)