एक कपड़े में लिपटा उसका शव कार्टन में बंद था। उसे एक टूटी हुई ईमारत की झाड़ियों में फेंक दिया गया था। घटना सोमवार की सुबह देवघर में घटी।
जमुई से पत्रकार राजेश जी की सूचना पर जब पा-लो ना टीम ने देवघर के पत्रकार श्री रजनीश से संपर्क किया तो उन्होंने घटना की पुष्टि की और बताया कि यह एक कन्या शिशु थी। उसका शव सोमवार की सुबह देवघर के नगर थाना क्षेत्र के पुरणदाहा पुल के पास कार्टन में बंद मिला है। उसके शरीर पर साड़ी या दुपट्टे जैसा कोई कपड़ा लिपटा हुआ है, जिसे तस्वीर में भी देखा जा सकता है। बच्ची के चेहरे पर खून के भी कुछ निशान है।
एएसआई नगर थाना क्षेत्र ने बताया कि बच्ची के शव का पोस्टमार्टम हो गया है, लेकिन रिपोर्ट आने में 15-20 दिन का वक्त लग जाएगा। इस संबंध में वरीय अधिकारियों के निर्देश पर उन्होंने एफआईआर दर्ज करने की भी बात कही है। पोस्टमार्टम के बाद निगम कर्मचारियों को बुलाकर बच्ची का अंतिम संस्कार करवा दिया गया है।
पा-लो ना को मिली जानकारी के मुताबिक, इस मामले में स्थानीय मीडिया और पुलिस आस-पास नर्सिंग होम्स की मौजूदगी के पहलू पर ही ध्यान केंद्रित किए हुए हैं। जबकि अपनी अब तक की रिसर्च में पा-लो ना ने ये पाया है कि कार्टन में पैक मिलने वाले शव या तो किन्हीं एडॉप्शन सेंटर्स के होते हैं, जिनकी बीमारी के दौरान मौत हो गई हो, या फिर उन अस्पतालों के कर्मचारी इन्हें इस तरह से डिस्पॉज ऑफ करते हैं, जहां डिलीवरी के दौरान बच्चे की मौत हो जाने के बाद परिजन बच्चे को अस्पताल में ही छोड़कर गायब हो जाते हैं। वे शिशु के शव का अंतिम संस्कार अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते। ऐसे में अस्पताल प्रशासन घबरा कर शव को इस तरह से ठिकाने लगवा देते हैं, हालांकि इसमें मेडिकल प्रोफेशनल्स का कोई दोष नहीं होता है।
यह मामला स्टिलबर्थ यानी डिलीवरी के दौरान बच्चे की मौत का ज्यादा प्रतीत होता है, हालांकि इसकी सच्चाई पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही जाहिर होगी।
09 अप्रैल 2018 देवघर, झारखंड (F)