उसे एक गड्ढा खोद कर उसमें फेंक दिया गया था। ऊपर से कंटीली झाड़ियों से ढक दिया गया। वहां बच्चे को रखने वाले की मंशा क्या थी, समझना मुश्किल है। घटना डूंगरपुर के सीमलवाड़ा इलाके के पीठ कस्बे में रविवार सुबह घटी।
सीनियर पत्रकार श्री महावीर सिंह चौहान ने पा-लो ना को बताया कि पीठ बाईपास पर इंदिरा कॉलोनी के निकट से गौतम खराड़ी की बेटी लीला सुबह करीब 9 बजे खेतों की ओर जा रही थी। इसी दौरान खेत की मेड़ पर से गुजरते हुए उसे एक बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। जब उसकी नजर बच्चे पर पड़ी तो वह भौंचक्की रह गई। करीब 05 फीट के एक गड्ढे में एक नवजात शिशु पड़ा था और कीड़े-मकोड़े व चींटियां उस पर रेंग रहे थे, उसे नौंच रहे थे।
उसने तुरंत बच्चे को वहां से निकालने के लिए कांटें हटाकर जमीन खोदना शुरू कर दिया और कुछ ही देर में बच्चे को वहां से निकाल लिया। इसके बाद वह बच्चे को लेकर अपने घर चली गई, उसे साफ किया, नहलाया, दूध पिलाया। इसी दौरान पुलिस को सूचना दी गई और बच्चे को अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टर्स के मुताबिक, बच्चा 12-13 गंटे पहले जन्मा था। फिलहाल वह सीसलवाड़ा अस्पताल में इलाजरत है।
पा-लो ना टीम लीला जैसे लोगों के प्रति आभार व्यक्त करती है, जो उन बच्चों के रक्षक बने हैं, जिनके भक्षक खुद उनके परिजन बने हुए हैं। इस घटना में बच्चे को वहां रखने वाले की मंशा समझना थोड़ा मुश्किल है। यदि उन्हें बच्चे को बचाने की ही इच्छा होती तो वे बच्चे को गड्ढे में न रखकर किसी भी सुरक्षित स्थान पर रख सकते थे। भीषण गर्मी में बच्चे को वहां रखने का मतलब उसकी जान से खेलना ही है। कंटीली झाड़ियों का इस्तेमाल जानवरों को रोकने के लिए किया गया था, या फिर लोगों में भ्रम पैदा करने के लिए, ये कहना भी मुश्किल है।
ये वे सवाल हैं, जिनका जवाब बच्चे को वहां रखने वाला ही दे सकता है। ये मां थी या कोई और, इसका पता भी तभी चलेगा, जब ईमानदारी से इस केस की जांच की जाएगी। पा-लो ना के पास ऐसे केस भी आए हैं, जहां पुलिस की सतर्कता और तत्परता से मासूम बच्चे के दोषियों को पता लगाया जा सका है। इस मामले का भी पूरा सच बाहर आए, इसका इंतजार है, ताकि सही बात पता चल पाए।
13 मई 2018 डूंगरपुर, राजस्थान (M)