वह मात्र 2 घंटे की थी। बस अभी आंखें खोली ही थी कि एक मंदिर में छोड़ दिया गया। यह मंदिर खेतों में बना हुआ था और दोपहर को बंद हो जाता था। छोड़ा पूरी हिफाजत से ही था, लेकिन मौसम की गर्मी उसकी जान लेने को आतुर थी। उसे जॉन्डिस भी था। ये घटना पलवल के जनौली
रोड स्थित एक खेत में दोपहर चार-साढ़े चार बजे के आस-पास घटी। पलवल बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष श्रीमती अल्पना मित्तल ने पा-लो ना को बताया कि जनौली रोड के एक खेत में स्थित मंदिर में पूजा करके स्थानीय लोग 12 बजे के करीब
मंदिर बंद करके चले गए। जब चार बजे वे मंदिर खोलने के लिए वापिस लौटे तो वहां एक नवजात बच्ची भी मौजूद थी। एक चादर को फाड़कर उसमें लपेटकर बच्ची को वहां छोड़ा गया था। गर्मी और लू से बच्ची का बुरा हाल था। श्रीमती मित्तल बताती
हैं कि बच्ची को छोड़ने के अंदाज से ऐसा लगता था कि उसे वहां छोड़ने वाले की मंशा गलत नहीं रही होगी। वह बच्ची को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता था। इसलिए विशेष ख्याल रखते हुए उसे वहां रखा गया था। उस बच्ची का जन्म किसी हॉस्पिटल
में हुआ प्रतीत हो रहा था, क्योंकि उसकी नाल किसी प्रोफेशनल के द्वारा काटी गई थी। उसमें क्लिप भी लगा हुआ था। उसके नजदीक दूध की बोतल भी रखी गई थी। लेकिन उसकी कंडीशन खराब थी। उसे किसी चींटी या अन्य किसी कीड़े या जानवर ने
तो नहीं काटा था, लेकिन भीषण गर्मी उसके प्राण लेने को लालायित थी। उसे लू भी लग गई थी व शरीर लाल पड़ चुका था। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां जॉंडिस होने का भी पता चला। करीब 20 दिन तक बच्ची स्पेशल केयर यूनिट में रही।
ठीक होने के बाद उसे शिशु गृह भेज दिया गया। टीम पा-लो ना इस बच्ची के परिवार के प्रति शुक्रगुजार हैं कि उन्होंने बच्ची को छोड़ा तो जरूर, लेकिन उसकी सुरक्षा का ख्याल रखा, हालांकि तब भी उनसे चूक हो ही गई। यदि किसी को वहां
पहुंचने में देर हो जाती, या बच्ची ही उतना स्ट्रगल नहीं कर पाती, तो उसे बचा पाना मुश्किल होता। इसके साथ ही टीम को ये भी लगता है कि बच्ची के परिवार को भी शायद मंदिर के चार बजे दोबारा खुलने की बात पता रही होगी, तभी उन्होंने
बच्ची को कहीं और नहीं छोड़कर वहीं छोड़ा।
01 जून 2018 पलवल, हरियाणा (F)