नवजात शिशु की हत्या के इस प्रयास में मां के साथ क्या पिता भी है शामिल
नवजात के मामले में 35 साल की महिला गिरफ्तार, हाउस मेड का करती है काम
25 मई 2022, बुधवार, पुणे, महाराष्ट्र।
मोनिका आर्य
उस नवजात शिशु ने जब पहली बार अपनी आंखें खोली तो खुद को पब्लिक टॉयलेट के पैन में फंसा पाया। उसके शरीर से खून अभी भी रिस रहा था। नाली और पैन के बीच फंसे बच्चे को समझ नहीं आया होगा कि उसके साथ क्या हो गया। वो मां की कोख से सीधे वहां कैसे पहुंच गया? जब ऐसा हुआ, उसका पिता कहां था? क्या उसका पिता भी शामिल था इस अपराध में? किसी ने उसे बचाया क्यों नहीं? न जाने ऐसे कितने ही सवाल उसके नन्हे से मन में चल रहे होंगे। इन सवालों का कोई जवाब न उसके पास था, न किसी और के पास।
हत्या का प्रयास है ये
शायद उसके बारे में दुनिया को पता भी नहीं चल पाता, यदि उसे मारने की कोशिश करने वालों के मंसूबे कामयाब हो जाते और वो टॉयलेट पैन में अटकने की बजाय बह जाता।
लेकिन ऐसा नहीं हुआ। समय रहते उसकी करुण पुकार लोगों तक और लोगों के माध्यम से पुलिस तक पहुंच गई और उसे बचा लिया गया। फिलहाल वह ससून अस्पताल में एडमिट है। घटना को अंजाम देने वाली बच्चे की मां को गिरफ्तार कर लिया गया है। मां ने अपना अपराध कबूल भी कर लिया है, लेकिन इस अपराध में साथ देने वाला व्यक्ति अभी पुलिस गिरफ्त से बाहर है।
क्या हुआ, कब हुआ, कैसे हुआ
ये घटना है पुणे के वडगांव बुद्रुक के तुकाई नगर इलाके की। पालोना को घटना की जानकारी जमुई के पत्रकार श्री राजेश कुमार से मिली। बुधवार सुबह करीब आठ बजे सिंहरोड थाना पुलिस को एक महिला का फोन आया। उन्होंने पुलिस को बताया कि एक नवजात शिशु पब्लिक टॉयलेट के पैन में अटका हुआ है और उसके शरीर से खून बह रहा है। उन्होंने पुलिस से जल्दी आने और बच्चे को बचाने की गुहार लगाई। सूचना मिलते ही कॉंस्टेबिल अजय माली और अमोल कुठे घटनास्थल को रवाना हो गए।
जैसा उक्त महिला ने बताया था, बच्चा उसी स्थिति में पैन में फंसा हुआ था। उनके बहुत कोशिश करने पर भी जब बच्चा नहीं निकल पा रहा था तो पैन में तेल डालकर अन्य लोगों की मदद से किसी तरह उस मासूम शिशु को बाहर निकाला गया और ससून अस्पताल में एडमिट करवाया गया।
किसने क्या कहा
- डॉक्टर महादेवी जधवार, सीडब्लूसी चेयरपर्सन, पुणे, महाराष्ट्र।
नवजात शिशु अभी एनआईसीयू में एडमिट है। उसकी स्थिति गंभीर बनी हुई है। पुणे में ऐसी घटनाएं आए दिन होती रहती हैं। लेकिन 90 फीसदी मामलों में पुणे पुलिस दोषियों को पकड़ लेती है। इसे अंजाम देने वालों में ज्यादा वो महिलाएं या लड़कियां होती हैं, जो अविवाहित हों या जिनका अपने पति से अलगाव हो गया हो।
- सब इंस्पेक्टर विशाल शिंदे, सिंहगढ़ पुलिस थाना, पुणे, महाराष्ट्र।
पुलिस को किसी ने फोन किया था, जिसके बाद हमारी टीम के कॉंस्टेबिल अजय माली और अमोल कुठे घटनास्थल पर गए। फिर उन्होंने फोन करके मुझे भी बुला लिया। हम तीनों के अलावा वहां कई ग्रामीण भी थे। हम सबने मिलकर उस नवजात शिशु को वहां से निकाला।
इस मामले में आईपीसी 317 के तहत केस दर्ज किया गया है। बच्चे की मां को गिरफ्तार कर लिया गया है। उसने बच्चे को उसी शौचालय में जन्म दिया था। मां का कहना है कि उसे पता नहीं चला कि बच्चे का जन्म हो गया है। सीसीटीवी फुटेज में एक और व्यक्ति भी नजर आ रहा है साथ में, लेकिन वह महिला उसके बारे में कुछ बता नहीं रही है।
घटना के बारे में स्थानीय मीडिया ने जो लिखा
इस मां ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने नवजात शिशु को पब्लिक टॉयलेट में फेंक दिया। इतना ही नहीं उसने बच्चे को बहाने की भी कोशिश की, लेकिन बच्चा टॉयलेट और नाली के बीच फंस गया।
सिंहगढ़ रोड थाना पुलिस ने बताया कि, नवजात के बारे में समय पर सूचना मिल गई थी, ऐसे में उसे बचा लिया गया है। पुलिस ने बताया कि, उनके पास तुकाई नगर वडगांव से एक महिला का फोन आया था। उसने बताया कि, पब्लिक टॉयलेट में एक नवजात बच्चा फंसा हुआ है। उस समय ड्यूटी पर मौजूद अजय माली अपने साथी के साथ मौके पर पहुंचे।
पुलिस ने देखा कि, बच्चा महिला शौचालय में रो रहा था। नवजात को बहाने की कोशिश की गई थी। ऐसे में वह टॉयलेट और नाली के बीच बुरी तरह से फंस गया था। बहुत कोशिश करने के बाद भी जब नवजात को बाहर नहीं निकाला जा सका तो स्थानीय लोगों की मदद से तेल डाला गया, जिसके बाद नवजात को बाहर निकाला जा सका। बच्चे के शरीर से खून बह रहा था। उसे तुरंत इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया। बिना देरी किये, पुलिस अधिकारी ने बच्चे को बड़ी मुश्किल से पैन से बाहर निकाल लिया और तुरंत ससून अस्पताल में भर्ती कराया.
“We tried to remove the baby boy from the toilet pot but it was difficult because the baby was crying and it was bleeding as well. It was stuck in a way that even we were getting it difficult to pull out the baby from the pot. Somehow we managed to get him out and he was immediately sent to the Sassoon General Hospital for treatment.” Police Constable Ajay Mali told Pune Mirror.
A 35 years old woman identified as Chhaya Ghorpade has been arrested in the case and she has confessed that she had abandoned the baby in the public toilet. According to police, Chhaya has been separated from her husband and lives alone in the Tukai Nagar area, she works as domestic help in the city. A police team has also recovered CCTV footage from the area in which another person is also visible walking with her. She has not revealed details about the another accused, police said.
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पालोना का पक्ष
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इस घटना में आईपीसी 317 के साथ साथ 307 और जेजे एक्ट का सेक्शन 75 भी लगना चाहिए। यदि एक से ज्यादा लोगों की संलिप्तता नजर आती है तो आईपीसी 34 भी यहां लगेगी।
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ये याद रखना होगा कि नवजात शिशुओं की हत्या का सबसे सरल रास्ता उन्हें असुरक्षित छोड़ देना है, जिसे विश्वभर में अपनाया जाता है।
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विशेषकर इस मामले में तो ये सीधे सीधे हत्या का प्रयास है। इसे साबित करने के लिए गवाह भी हैं और वीडियोग्राफी या फोटोज के जरिए प्रूफ भी जुटाए जा सकते हैं। सीसीटीवी फुटेज पुलिस के पास पहले से मौजूद है।
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ये प्रूफ काफी होंगे ये साबित करने के लिए कि उन्होंने एक तुरंत जन्मे शिशु की हत्या की कोशिश की थी। मां का ये कहना कि उसे मालूम नहीं चला बच्चे के जन्म के बारे में, झूठ प्रतीत होता है। ये माना जा सकता था कि बच्चे का जन्म अचानक टॉयलेट जाने के क्रम में हो गया हो।
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लेकिन जन्म के बाद जब शिशु टॉयलेट में फंसा तो उन्हें मदद के लिए आवाज लगानी चाहिए थी, किसी को बुलाना चाहिए था। उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया, बल्कि घटनास्थल से चली गईं। उनका ये व्यवहार ही उनके दावों को शक के कठघरे में खड़ा कर देता है।
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इंसानियत पर करारा प्रहार करने वाली इन घटनाओं पर विराम लगाने के लिए ये भी जरूरी है कि महिला के पार्टनर (जो बच्चे का पिता भी हो सकता है) को भी इस अपराध में बराबर का दोषी माना जाए।