तीन-चार माह की उस बच्ची को एक ट्रेन में छोड़ दिया गया था। रात का वक्त था और ट्रेन लगभग खाली हो चुकी थी। तभी वहां से गुजरते एक शख्स ने बच्ची की करुण पुकार सुन ली और फिर उसे बचा लिया गया। घटना पटना-आरा पैसेंजर ट्रेन में मंगलवार की रात आठ बजे के आस-पास कुल्हड़िया स्टेशन पर घटी।
वकील और चाईल्ड एक्टिविस्ट सुश्री मिनी प्रसाद की सूचना पर जब टीम पा-लो ना ने सीपीओ पटना श्री लवलेश कुमार से संपर्क किया तो उन्होंने घटना की पुष्टि कर दी। इसके अनुसार -पटना-आरा पैसेंजर ट्रेन पटना जंक्शन से चलकर आरा जंक्शन पहुंची थी। इसके बाद आरा स्टेशन से पैसेंजर ट्रेन की खाली रैक कुल्हड़िया स्टेशन पर रात 08 बजे शंटिंग रेलपटरी पर आकर खड़ी हो गई। यात्री उतर कर जाने लगे। इनमें उत्क्रमित मध्य विद्यालय, दौलतपुर के हेडमास्टर मो. शकील भी थे। इसी दौरान एक बोगी से बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी। पहले उन्हें ये भ्रम लगा, बाद में उनसे रहा नहीं गया, तो वे बोगी में घुस गए। वहां 3-4 माह की एक बच्ची भूख से बिलख रही थी। आस-पास कोई नहीं था।
उन्होंने अपने साथी पत्रकार नीरज कुमार को फोन कर बच्ची के बारे में बताया और जल्दी दूध लेकर आने को बोला। इस दौरान, बच्ची के रोने की आवाज सुनकर स्टेशन परिसर में काफी लोग इकठ्ठे हो चुके थे। मो. शकील बच्ची को स्टेशन प्रबन्धक हिजिबुल्लाह के चैम्बर में ले गए। तब तक श्री नीरज भी दूध की बोतल लेकर स्टेशन पहुंच गए। दूध पीने के बाद बच्ची चुप हो गई। स्टेशन प्रबन्धक ने बच्ची की सूचना आरपीएफ और जीआरपी, दानापुर को दी। डॉक्टर से दिखाने के बाद बच्ची को प्रयास भारती, पटना भेज दिया गया।
टीम पा-लो ना को लगता है कि यदि बच्ची को किसी ने भूलवश छोड़ा होता तो किसी न किसी तरह से जरूर संपर्क करने की कोशिश करते। उसे जानबूझकर ही वहां छोड़ा गया होगा। इसके पीछे वजह कोई भी हो सकती है- गरीबी, शिशु का लड़की होना या फिर पति-पत्नी में झगड़ा। हालांकि किसी भी वजह से बच्ची को छोड़ने की बजाय सौंपने का विकल्प उनके पास मौजूद था, लेकिन शायद उन्हें उसकी जानकारी नहीं रही होगी।
19 जून 2018 पटना, बिहार (F)